कांग्रेस कब करेगी करिश्मा: लगातार तीसरी बार दिल्ली में नहीं खुला खाता, 2013 का सम्मान भी नहीं कर पा रही हासिल

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली l दिल्ली विधानसभा चुनाव में कांग्रेस गत दो बार की तरह इस बार फिर खाता नहीं खोल सकी। जबकि इस बार कांग्रेस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी और उसके बड़े नेता राहुल गांधी, प्रियंका गांधी समेत तमाम राष्ट्रीय नेताओं ने प्रचार किया था। इसके अलावा जनता को अपनी ओर मोड़ने के लिए भाजपा व आम आदमी पार्टी से भी अधिक जनकल्याणी योजनाएं शुरू करने का वादा किया था, लेकिन दिल्ली का मतदाता उसकी ओर नहीं झुका। चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस के तमाम नेताओं ने दावा किया था कि उनकी पार्टी अपनी पुरानी राजनीतिक जमीन को वापस हासिल करने में सफल होगी I

जहां मजबूत पकड़, वहां भी नहीं मिल रही सफलता :
कांग्रेस ने इस चुनाव में कई वरिष्ठ नेताओं को मैदान में उतारा था। इसके अलावा कुछ नए चेहरों पर भी दांव लगाया था, जिनमें युवा नेताओं को ज्यादा प्राथमिकता दी गई थी। इसके अलावा कांग्रेस ने विशेष ध्यान उन क्षेत्रों में दिया था, जहां पारंपरिक रूप से उसकी मजबूत पकड़ रही थी, लेकिन इन प्रयासों के बावजूद कांग्रेस अपनी पुरानी स्थिति को भी पुनः प्राप्त नहीं कर सकी।

2013 का सम्मान भी नहीं कर पा रही प्राप्त :
इतना ही नहीं, उसे वर्ष 2013 के चुनाव वाला भी सम्मान प्राप्त नहीं हो सका। उस समय उसने आठ सीटें जीती थीं। लिहाजा उसके प्रदर्शन में कोई खास सुधार देखने को नहीं मिला। जबकि वर्ष 2013 से पहले कांग्रेस के पास एक मजबूत जनाधार था। उसने वर्ष 1998, 2003 व 2008 में सरकार बनाई थी। इस तरह यह एक बड़ा झटका है क्योंकि दिल्ली के चुनावों में भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच कड़ी टक्कर थी और कांग्रेस ने उम्मीद की थी कि वह अपनी पुरानी स्थिति को वापस पा सकेगी। चुनाव परिणाम आने के बाद कांग्रेस के प्रदर्शन पर भाजपा व आम आदमी पार्टी ने भी सवाल उठाए हैं। उनके नेताओं ने दावा किया है कि कांग्रेस ने दिल्ली के मतदाताओं का विश्वास खो दिया है। उसके मतदान प्रतिशत में मामूली सी बढ़ोतरी हुई है। जबकि उसके नेता बड़े-बड़े दावे कर रहे थे।

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