श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के द्वितीय दिवस शिव–पार्वती चरित्र की भक्ति सरिता में बहे श्रद्धालु, व्यासपीठ से महंत भरत शरण जी महाराज ने किया शिव विवाह प्रसंग का दिव्य वर्णन

थर्ड आई न्यूज़
गुवाहाटी, 30 जुलाई। श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिवस व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य महंत भरत शरण जी महाराज ने शिव–पार्वती चरित्र का भक्ति भाव से सरस प्रवचन करते हुए शिव विवाह की लीलाओं का विस्तृत वर्णन किया। कथा स्थल भक्ति रस में डूब गया और श्रद्धालु भगवान शिव एवं माँ पार्वती की दिव्यता में सराबोर हो उठे।
श्रीरामचरितमानस की रचना: एक दिव्य प्रेरणा की गाथा
महंत भरत शरण जी ने बताया कि गोस्वामी तुलसीदास जी ने भगवान शिव की कृपा से मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के जीवन पर आधारित रामचरितमानस की रचना एक महाकाव्य के रूप में की। उन्होंने इसे रामनवमी, 1631 ई. को अयोध्या में लिखना प्रारंभ किया और इसे दो वर्ष, सात माह और 26 दिन में पूर्ण किया।

तुलसीदास जी ने प्रारंभ में इसे संस्कृत में लिखने का प्रयास किया, परंतु सात दिनों तक लगातार लिखकर हर रात उसे मिटाते रहे। तभी भगवान शिव और माँ पार्वती ने उन्हें दर्शन देकर आवधि भाषा में रचना करने का आदेश दिया। तुलसीदास जी ने इसे उस समय की जन–जन की भाषा में रचकर लोकमानस से जोड़ा।
काशी में “सत्यम शिवम सुंदरम” से हुई रामचरितमानस की स्वीकृति :
जब यह रचना काशी पहुँची तो विद्वानों ने इसे ‘गाँव की भाषा’ में होने के कारण अस्वीकार कर दिया। तब तुलसीदास जी ने इसे भगवान विश्वनाथ के मंदिर में रख दिया और निर्णय ईश्वर पर छोड़ दिया। अगले दिन जब मंदिर के कपाट खुले, तो रामचरितमानस सबसे ऊपर था और उस पर स्वर्णाक्षरों में “सत्यम शिवम सुंदरम” लिखा हुआ था, जिससे इसकी दिव्यता प्रमाणित हुई और विद्वानों ने इसे स्वीकार कर लिया।
शिव विवाह की झांकी और भक्तों का आशीर्वाद :
कथा के अंत में शिव–पार्वती विवाह की भव्य झांकी प्रस्तुत की गई। इस दौरान माहेश्वरी सभा अध्यक्ष सीताराम बिहानी ने जुगल जोड़ी का माल्यार्पण कर पूजन किया। महाआरती में रामस्वरूप लखोटिया, विष्णु बिन्नानी, सोहनलाल चांडक, श्याम करवा, श्याम पारिक और शिवरतन सोमानी ने भाग लेकर महंत जी से आशीर्वाद प्राप्त किया।
अगली कथा में श्रीराम जन्मोत्सव का भव्य आयोजन :
माहेश्वरी सभा की ओर से नारायण गट्टाणी ने जानकारी दी कि कल की कथा में भगवान श्रीराम का प्राकट्य प्रसंग होगा। उन्होंने समस्त भक्तों से श्रीराम जन्मोत्सव में उत्साहपूर्वक सहभागिता का अनुरोध किया, जिससे सभी प्रभु लीला का दिव्य आनंद प्राप्त कर सकें।