‘जय श्रीराम’ के उद्घोष से गूंज उठा माहेश्वरी भवन, प्रभु श्रीराम के प्राकट्य की लीलाओं पर भावविभोर हुए श्रद्धालु

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गुवाहाटी, 31 जुलाई। श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस माहेश्वरी भवन का पावन सभागार “भए प्रकट कृपाला दीन दयाला कौसल्या हितकारी…” की स्तुति से गूंज उठा। व्यासपीठ पर आसीन पूज्य महंत भरत शरण जी महाराज ने भावभरे शब्दों में गोस्वामी तुलसीदास जी के प्राकट्य से लेकर श्रीरामचरितमानस की रचना तक की जीवनगाथा का अत्यंत प्रभावशाली वर्णन किया।

तुलसीदास जी का प्राकट्य और भगवान की कृपा कथा में हुआ वर्णित :
महाराज श्री ने बताया कि श्रावण शुक्ल सप्तमी को माता हुलसी की कोख से जन्मे बालक तुलसी के शरीर की संरचना अत्यंत विलक्षण थी—जन्म लेते ही पूर्ण दंतयुक्त और लगभग 4–5 वर्षीय बालक जैसे। जन्म के समय वातावरण में ढोल-नगाड़ों और घंटे-घड़ियालों की दिव्य ध्वनि गूंजने लगी। माता ने यह अनुभव कर लिया कि उनका शरीर साथ नहीं देगा, इसलिए अपयश से बचाने हेतु बालक को एक दासी को सौंप दिया। लेकिन कुछ समय पश्चात वह दासी भी संसार से विदा हो गई। ऐसे में माता पार्वती स्वयं बालक के पालन के लिए अवतरित हुईं।

रत्नावली के वाक्य से हुआ आत्मबोध, बनी रामभक्ति की लौ :
महाराज जी ने तुलसीदास जी के विवाह और फिर पत्नी रत्नावली के एक व्यंग्यात्मक वचन को आत्मबोध का कारण बताते हुए कहा कि—

“हाड़-मांस की देह पर, तामे ऐसी प्रीति।
होती जो श्रीराम में, मिट जाती भव भीति॥”
इन शब्दों ने तुलसी को ‘तुलसीदास’ बना दिया और वे गोस्वामी बन भगवान शिव की कृपा से श्रीरामचरितमानस जैसे अनुपम महाकाव्य की रचना में प्रवृत्त हुए।

हनुमान जी का आशीर्वाद और भक्तमाल का वर्णन :
कथा के क्रम में महंत जी ने बताया कि तुलसीदास जी जब मानस लिखते समय अटकते, तो श्री हनुमान जी का स्मरण करते और आंखें खोलते ही आगे की पंक्ति स्वतः स्पष्ट हो जाती। कथा में उन्होंने भक्तमाल और सुमेरु ग्रंथ के प्रसंगों का भी उल्लेख कर गोस्वामी जी की कृपा पात्रता को रेखांकित किया।

राम जन्मोत्सव की लीलाएं और भव्य झांकी :
तत्पश्चात बाल कांड की महिमा का गान करते हुए भगवान श्रीराम के प्राकट्य की लीला का भव्य वर्णन किया गया। इसी बीच वशिष्ठ मुनि, राजा दशरथ, माता कौसल्या तथा चारों भ्राता—राम, लक्ष्मण, भरत एवं शत्रुघ्न के शिशुरूप की मनोहारी झांकी प्रस्तुत की गई। माता कौसल्या द्वारा पालने में चारों बालकों को झुलाने का दृश्य श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत भावविह्वल करने वाला रहा।

भक्तों ने बधाई गीत पर किया नृत्य, महाआरती में उमड़ा श्रद्धा का सागर :
महंत जी द्वारा गाए गए बधाई गीत पर श्रद्धालुओं ने भावपूर्ण नृत्य कर भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव की खुशियों को व्यक्त किया। माहेश्वरी सभा की ओर से प्रभु जन्मोत्सव पर बधाइयां वितरित की गईं।

महाआरती में राजकुमार सोमानी, महेश बाबू, श्याम करनानी, श्रीगोपाल गट्टाणी, निरंजन लाल काबरा, शोभाचंद डागा, बाबुलाल मुंदड़ा और रमेश राठी सहित अनेक श्रद्धालु सम्मिलित हुए और महाराज श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया। कथा स्थल को विशेष रूप से सजाया गया था, जिसमें धर्मनिष्ठ जनों, मातृशक्ति और युवाओं की अपार उपस्थिति रही।

अगले दिवस की कथा में अहिल्या उद्धार व मिथिला प्रवेश :
जनसंपर्क अधिकारी संतोष तापड़िया ने बताया कि कथा के चतुर्थ दिवस (1 अगस्त) को भगवान की बाल लीलाएं, अहिल्या उद्धार और मिथिला प्रवेश का प्रसंग सुनाया जाएगा। उन्होंने समस्त श्रद्धालुओं से सादर उपस्थित रहने का आग्रह किया।

माहेश्वरी भवन में गूंजते जयघोषों और भक्ति रस में डूबी कथा श्रृंखला ने रामभक्ति की अलौकिक छटा बिखेरी, जो सभी श्रद्धालुओं के लिए अविस्मरणीय बन गई।

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