मूसलाधार वर्षा भी न रोक सकी राम कथा का प्रवाह, भक्तिरस में सराबोर हुआ गुवाहाटी

थर्ड आई न्यूज़
गुवाहाटी । संपूर्ण गुवाहाटी जब मानसून की झमाझम बारिश में भीग रहा था, तब एक ओर राम नाम की सुधा बह रही थी, जो बारिश से भी ज़्यादा शीतल और मन को भिगोने वाली थी। रामकथा का आरंभ होते ही जैसे स्वर्गलोक से आशीर्वादस्वरूप मेघ बरस पड़े—मानो प्रभु नाम में डूबे श्रद्धालुओं के चरण धोने स्वयं प्रकृति व्याकुल हो उठी हो।
महाराजश्री ने मौसम और माया को कथा से जोड़ते हुए कहा,
“कलियुग में जब कोई राम नाम लेता है, तो निद्रा उसे घेर लेती है; और जब कोई राम कथा सुनना चाहे, तो वर्षा परीक्षा लेने चली आती है। परंतु जिनके अंत:करण में श्रद्धा है, उन्हें कोई नहीं रोक सकता।”
भगवान श्रीराम की बाल लीलाओं के वर्णन के साथ कथा का आरंभ हुआ और श्रद्धालुओं का अपार जनसागर कथा स्थल की ओर उमड़ पड़ा। तुलसीदासजी द्वारा रचित चौपाइयों के गूढ़ अर्थ बताते हुए महाराजश्री ने कहा,
“हरि से बड़ा हरि का नाम, रामजी से बड़ा रामजी का नाम।”
और आगे सुनाया:
“सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहिं ते तरहिं भव सिंधु बिना जल जान।।”
उन्होंने राम नाम की महिमा का रसपान कराते हुए कहा कि राम नाम केवल शब्द नहीं, ब्रह्मानंद की सीढ़ी है—जो जीवन की थकान को विश्राम और आत्मा को प्रकाश देती है। उसी भावना को आगे बढ़ाते हुए कहा:
“आराम की तलब है तो एक काम कर,
आ राम की शरण में, और राम राम कर।”
कथा भाव में डूबा समाज :
महाराजश्री ने आधुनिकता के प्रभाव पर कटाक्ष करते हुए कहा कि अब कथाएं यूट्यूब पर हैं, लेकिन भाव अब आंखों में नहीं दिखते। पहले सात दिन की कथा को लोग तपस्या समझकर बैठते थे, आज केवल एक दिन ‘दर्शन लाभ’ लेने की भावना अधिक दिखती है। परंतु ब्रह्मानंद की अनुभूति तभी संभव है जब श्रद्धा, समर्पण और निरंतरता हो।

उन्होंने दो प्रकार के आनंद की विवेचना करते हुए बताया कि विषयक आनंद क्षणिक है, जबकि ब्रह्मानंद दिव्य और शाश्वत है। यह केवल सत्संग, भक्ति और प्रभु चिंतन से ही मिलता है।
बालकाण्ड से मिथिला प्रवेश तक की लीला :
कथा के प्रवाह में आज भगवान शिव का ज्योतिष रूप धारण कर कागभुशुण्डि को बालक राम के दर्शन हेतु भेजने की लीला, गुरुकुल की शिक्षा, धनुष बाण विद्या, और मिथिला प्रवेश से शिव धनुष तोड़ने तक के प्रसंगों का अत्यंत भावपूर्ण वर्णन किया गया। दृश्य सजीव हो उठे जब गुरु विश्वामित्र, राजा जनक, बालक राम और लक्ष्मण की मनोहारी झांकी प्रस्तुत की गई—जिसके दर्शनों हेतु श्रद्धालु उमड़ पड़े।
आरती के अवसर पर समाज के अनेक प्रमुख जनों ने महाराजश्री से आशीर्वाद लिया, जिनमें नंद किशोर सोनी (माहेश्वरी), कैलाश काबरा, कैलाश सारंडा, सुभाष दम्मानी, देवकिसन भट्टड़, पुरूषोत्तम तापड़िया, विकास विजयवर्गीय, अनिल साबू, बसंत मल और मोहनलाल चांडक शामिल थे।
कल राम विवाह, सभी को आमंत्रण :
माहेश्वरी सभा अध्यक्ष सीताराम बिहानी ने आज की कथा में समाज की अभूतपूर्व उपस्थिति के लिए आभार व्यक्त करते हुए श्रद्धालुओं से कल की कथा में भगवान श्रीराम के वैदिक विवाह, राम वनवास, और केवट प्रसंग में सहभागी बनने का विनम्र आमंत्रण दिया।
उन्होंने सभी भक्तों से निवेदन किया कि वे माता सीता के स्वागत और राम विवाह के अलौकिक दर्शन हेतु कथा स्थल पर समय से पधारें और प्रभु कृपा के सहभागी बने ।