राम कथा का पांचवा दिन : “भवसागर से पार लगाने वाले श्रीराम, केवट को ही नहीं, कथा-श्रोताओं को भी देते हैं मुक्ति का मार्ग” – महंत भरत शरण जी महाराज

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी, 2 अगस्त। श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस की कथा का प्रवाह आज श्रद्धा, भक्ति और भाव-विभोर कर देने वाले प्रसंगों से सराबोर रहा। व्यासपीठ पर विराजमान पूज्य महंत भरत शरण जी महाराज ने अपने भावपूर्ण प्रवचनों से श्रोताओं को रामकथा की दिव्यता में डुबोते हुए बताया कि श्रीराम केवल केवट को ही नहीं, इस युग में कथा श्रवण करने वालों को भी भवसागर पार कराने वाले हैं।

आज की कथा का आरंभ श्रीराम-सीता के वैदिक विवाह की मंगलमयी झांकी से हुआ, जिसमें भक्तजन भावविभोर हो उठे। कथा के विश्राम तक श्रोताओं ने श्रीराम के वनगमन और केवट संवाद की लीलाओं का रसास्वादन किया। श्रद्धालु कभी आनंदाश्रु तो कभी वियोग की पीड़ा में भीगते रहे। कथा स्थल पर उपस्थित श्रद्धालु समाज बंधु-भगिनियाँ भक्ति-रस में निमग्न हो बार-बार अपनी चेतना को भगवान की लीलाओं में समर्पित करते रहे।

महाराजश्री ने कहा—
“हरि अनंत हरिकथा अनंता, कहहिं सुनहिं बहु बिधि सब संता।”
रामकथा अनंत है, इसे किसी कालखंड में पूर्ण नहीं किया जा सकता। यह अमृत-सरिता है—जितनी पी जाए, उतनी और प्यास बढ़ती जाती है।

मिथिला में श्रीराम के तीन माह तक निवास और बिना दूल्हे की बारात का जनकपुरी आगमन, विवाह के उपरांत छह महीने तक बारात का वही ठहर जाना—इन घटनाओं से महाराजश्री ने प्रेम और भक्ति के उस बंधन का दर्शन कराया, जो स्वयं प्रभु को भी उनकी लीला से रोक लेता है।

विशेष रूप से केवट प्रसंग ने आज श्रोताओं के हृदय को झकझोर दिया। महाराजश्री ने कहा, “केवट का हृदय इतना निश्छल था कि उसने प्रभु के चरणों को अपने आटे गूंथने वाले पात्र में पखारने का आग्रह किया। जब प्रभु ने पूछा, एक पैर में कैसे खड़ा होऊँगा? तो केवट ने प्रेम से कहा—’दोनों हाथ मेरे सिर पर रख दीजिए प्रभु!’ ऐसी भक्ति पर तो देवगणों ने भी पुष्पवर्षा की।”

श्रीराम के प्रति इस आत्मसमर्पण और विश्वास ने सिद्ध कर दिया कि भक्त के वश में है भगवान।

इस अवसर पर राजा जनक, विश्वामित्र, केवट, बाल राम-लक्ष्मण तथा विवाह मंडप की दो भव्य झांकियों का मंचन किया गया, जिनके दर्शन के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी।

आरती में अंशग्रहण करते हुए मोहनलाल चांडक, श्याम मनोहर सोमानी, रामगोपाल ग्वाला, श्याम कांकानी, गोविंद तोषनीवाल, मदन मोहन डागा, बृजमोहन राठी, गिरधारी लाल झंवर, जुगल लोहिया, बजरंग असावा एवं शिव परिवार के सदस्यों ने महाराजश्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।

माहेश्वरी सभा के प्रतिनिधि रामेश्वर तापड़िया और दिनदयाल मुंदड़ा ने सभी सेवा-सहयोगी समाजबंधुओं का आभार जताते हुए बताया कि अगले दिवस की कथा में भगवान श्रीराम का चित्रकूट प्रवास एवं भरत चरित्र का भावमय प्रसंग प्रस्तुत होगा, जो भक्ति की चरम सीमा और त्याग की पराकाष्ठा को दर्शाएगा।

महाराजश्री ने कहा—
“रामचरितमानस में केवल दो पात्र ऐसे हैं, जिन्होंने प्रभु के पगों को प्रभु से भी ऊपर स्थान दिया—एक हैं केवट, और दूसरे भरतजी।”

समस्त श्रद्धालुओं को सादर आमंत्रण है— आइए, कथा-रस का पान कर आत्मा को प्रभु भक्ति से ओतप्रोत करें।

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