रियान पराग बनाम राहुल द्रविड़: राजस्थान रॉयल्स की दिशा बदलने वाला फैसला

थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I राजस्थान रॉयल्स के हेड कोच राहुल द्रविड़ का इस्तीफा केवल एक क्रिकेटिंग घटना नहीं है — यह IPL में उभरती हुई “मैनेजमेंट बनाम क्रिकेटिंग मेरिट” बहस का प्रतीक है।
पृष्ठभूमि: पनिशमेंट प्रमोशन और असम कनेक्शन :
द्रविड़ को हाल ही में एक “ब्रॉडर रोल” ऑफर किया गया था, जो नाम के लिए पदोन्नति था लेकिन टीम की कोर रणनीति से उन्हें अलग कर देता। अनुशासनप्रिय द्रविड़ ने इसे “पनिशमेंट प्रमोशन” मानते हुए पद छोड़ दिया।
माना जा रहा है कि यह खींचतान रियान पराग को टीम का अगला कप्तान बनाने की रणनीति को लेकर थी। राजस्थान रॉयल्स के कार्यकारी अध्यक्ष रंजीत बरठाकुर लंबे समय से पराग को टीम का चेहरा बनाने के पक्षधर रहे हैं। गुवाहाटी का बरसापारा स्टेडियम टीम का दूसरा घर है और पराग इस नॉर्थ ईस्ट कनेक्ट का सबसे बड़ा प्रतीक हैं।
क्रिकेटिंग लॉजिक बनाम कॉमर्शियल रणनीति :
IPL केवल क्रिकेट नहीं, एक बड़ा बिजनेस मॉडल है। रॉयल्स जैसे फ्रेंचाइज़ी के लिए नॉर्थ ईस्ट एक नया बाजार है, और रियान पराग को कप्तान बनाना इस बाजार में ब्रांड को और मजबूत कर सकता है। लेकिन सवाल यह है कि क्या क्रिकेटिंग निर्णय केवल मार्केटिंग और ब्रांडिंग के आधार पर लिए जाने चाहिए? द्रविड़ की सोच साफ़ थी — कप्तान वही बने जो प्रदर्शन और नेतृत्व क्षमता में सबसे आगे हो। उनका झुकाव यशस्वी जयसवाल की ओर था, जिनका अंतरराष्ट्रीय अनुभव और निरंतर प्रदर्शन उन्हें स्वाभाविक उत्तराधिकारी बनाता है।
टीम संस्कृति पर असर :
द्रविड़ के जाने से RR की टीम संस्कृति पर निश्चित रूप से असर पड़ेगा। द्रविड़ के नेतृत्व में युवा खिलाड़ियों को ग्रूम करने की जो परंपरा बनी थी, वह टूटने का खतरा है। संजू सैमसन के टीम छोड़ने की अटकलें भी टीम के मनोबल पर असर डाल सकती हैं। अगर पराग को कप्तान बना दिया जाता है और टीम का प्रदर्शन खराब रहा, तो आलोचक इसे मैनेजमेंट की “जिद” मानेंगे।
फैसले के संभावित परिणाम :
सकारात्मक: नॉर्थ ईस्ट में ब्रांड मजबूती, युवा खिलाड़ी को नेतृत्व का मौका।
नकारात्मक: अनुभवी खिलाड़ियों का मनोबल गिरने का खतरा, टीम की स्थिरता पर प्रश्नचिन्ह।
दीर्घकालिक असर: यह फैसला RR की छवि को या तो “युवा प्रतिभा को बढ़ावा देने वाली फ्रेंचाइज़ी” बनाएगा या “पसंदीदा खिलाड़ियों को आगे बढ़ाने वाली फ्रेंचाइज़ी” के रूप में बदनाम कर सकता है।
राहुल द्रविड़ का जाना केवल एक व्यक्ति का निर्णय नहीं है; यह एक फ्रेंचाइज़ी की दिशा तय करने वाला क्षण है। अगर रॉयल्स रियान पराग को कप्तान बनाते हैं और टीम अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित होगा। लेकिन अगर परिणाम उलटे रहे, तो यह “क्रिकेटिंग लॉजिक बनाम मैनेजमेंट पॉलिटिक्स” बहस का सबसे बड़ा केस स्टडी बन जाएगा।