ट्रंप फोड़ने वाले हैं 200% टैरिफ का बम! जानें अब किस चीज लगाएंगे टैक्स, भारत पर कितना पड़ेगा असर?

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली l अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक कई चीजों पर टैरिफ लगाते जा रहे हैं। इस बार वह ऐसी चीज पर भारी टैरिफ लगाने की सोच रहे हैं जो हर शख्स के लिए जरूरी है। दरअसल, ट्रंप प्रशासन दवाओं पर भारी टैक्स लगाने की सोच रहा है।

दवाओं पर भारी टैरिफ का प्लान :
एपी की रिपोर्ट के अनुसार, कुछ दवाओं पर तो 200% तक टैक्स लगाने की बात चल रही है। ट्रंप चाहते हैं कि ऑटो और स्टील जैसी चीजों पर लगे टैक्स को दवाओं पर भी लगाया जाए। अगर ऐसा होता है तो यह दशकों से चली आ रही नीति के खिलाफ होगा, जिसमें कई दवाएं बिना टैक्स के अमेरिका आती थीं। इसका असर भारत पर भी दिखाई दे सकता है। एक्सपर्ट का कहना है कि इससे दवाओं के दाम बढ़ सकते हैं और सप्लाई में दिक्कत आ सकती है। साथ ही दवाओं की कमी होने का खतरा भी है।

क्यों लगाना चाहते हैं इतना टैरिफ?
दवाओं पर 200% टैक्स लगाने के लिए ट्रंप साल 1962 के ट्रेड एक्सपेंशन एक्ट के सेक्शन 232 का हवाला दे रहे हैं। उनका कहना है कि कोरोना (COVID-19) महामारी के दौरान दवाओं की कमी और जमाखोरी देखने को मिली थी। इसलिए अब घरेलू उत्पादन बढ़ाना जरूरी है।

हाल ही में अमेरिका और यूरोप के बीच हुए एक व्यापार समझौते में कुछ यूरोपीय सामानों पर 15% टैक्स लगाया गया है, जिसमें दवाएं भी शामिल हैं। प्रशासन दूसरे देशों से आने वाली दवाओं पर और भी ज्यादा टैक्स लगाने की धमकी दे रहा है।

अमेरिका में बढ़ेगी महंगाई :
अगर ट्रंप दवाओं पर 200 फीसदी टैरिफ लगाते हैं तो इसका असर अमेरिका में दवाओं को खरीदने वालों पर पड़ेगा। ING के Diederik Stadig ने पिछले महीने कहा था कि टैक्स का सबसे ज्यादा असर उपभोक्ताओं पर होगा। उन्हें फार्मेसी में दवा खरीदते समय सीधे तौर पर और बीमा प्रीमियम के रूप में अप्रत्यक्ष रूप से महंगाई का सामना करना पड़ेगा।

एक्सपर्ट का कहना है कि कम आय वाले और बुजुर्ग मरीजों को सबसे ज्यादा परेशानी होगी। Stadig का कहना है कि अगर 25% टैक्स भी लगता है तो अमेरिका में दवाओं के दाम 10 से 14% तक बढ़ सकते हैं, क्योंकि स्टॉक खत्म हो जाएगा। यह फिक्स्ड इनकम वाले लोगों के लिए बहुत बड़ी रकम है।

किन दवाओं को ज्यादा खतरा?
अमेरिका में ज्यादातर जेनेरिक दवाएं बिकती हैं। रिटेल और मेल-ऑर्डर फार्मेसी में बिकने वाली दवाओं में से लगभग 92% जेनेरिक दवाएं होती हैं। जेनेरिक दवा बनाने वाली कंपनियां कम मुनाफे पर काम करती हैं और वे ज्यादा टैक्स नहीं दे पाएंगी। एनालिस्टों का कहना है कि कुछ कंपनियां टैक्स देने के बजाय अमेरिकी बाजार छोड़ सकती हैं।

भारत पर क्या असर?
भारत जेनेरिक दवाओं का एक बड़ा सप्लायर है। अमेरिकी सरकार ने भारत की दवा कंपनियों को टैक्स से छूट दी है क्योंकि भारत से आने वाली दवाएं सस्ती होती हैं। Basav Capital के को-फाउंडर संदीप पांडे के मुताबिक अमेरिका में दवाओं के आयात में भारत की हिस्सेदारी करीब 6% है।

अमेरिकी नीति निर्माताओं को पता है कि उनका सिस्टम भारतीय सप्लाई पर निर्भर है। कुछ साल पहले भारत में एक फैक्ट्री में दवा बनना बंद हो गया था, जिससे कीमोथेरेपी की कमी हो गई थी। ऐसे में भारत से जो दवाएं आती हैं, उन पर अभी टैक्स शायद नहीं लगेगा क्योंकि वे दवाएं सस्ती होती हैं और अमेरिका के लोगों के लिए जरूरी हैं।

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