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Nepal: नेपाल में जनआंदोलन या जियोपॉलिटिक्स का खेल? अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों की भूमिका पर उठ रहे सवाल

थर्ड आई न्यूज

काठमांडू I नेपाल में जेन-जी आंदोलन ने देश की राजनीति को अचानक अस्थिर कर दिया है। राजधानी से लेकर शहर-कस्बों तक युवा सड़कों पर हैं। उनके निशाने पर नेता हैं चाहे वे किसी भी दल के हों। काठमांडो के मेयर बालेंद्र शाह और सुदन गुरुंग का नाम आंदोलन के नए नायक के रूप में उभरा है। कई छात्र संगठन बालेंद्र को नेपाल का अगला प्रधानमंत्री बनाने की मांग कर रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि क्या इस उग्र आंदोलन के पीछे केवल घरेलू असंतोष है, या फिर अमेरिका जैसी बड़ी ताकतें भी इसे हवा देने की कोशिश कर रही हैं। कहीं नेपाल के बहाने दक्षिण एशिया में शक्ति संतुलन का खेल तो नहीं खेला जा रहा है I

नेपाल में प्रदर्शन :
सूदन गुरंग जिस सामाजिक संगठन हामी (हामरो अधिकार मंच इनीशिएटिव) से जुड़े रहे हैं, उस पर विपक्ष और मीडिया ने आरोप लगाया है कि इसे विदेशी दूतावासों खासकर अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों से फंडिंग मिली है।

यूएसएआईडी,एनईडी और कुछ यूरोपीय एनजीओ ने ‘हामी’ को परोक्ष सहायता दी है। आलोचकों का दावा है कि इस तरह की संस्थाएं लोकतांत्रिक सुधार और सिविल सोसाइटी को मजबूत करने के नाम पर पश्चिमी प्रभाव फैलाने का काम करती हैं। हालांकि सार्वजनिक ऑडिट में अमेरिकी सरकारी एजेंसियों से सीधे फंडिंग के ठोस प्रमाण अब तक सामने नहीं आए हैं। काठमांडो स्थित अमेरिकी दूतावास ने सफाई देते हुए कहा है कि नेपाल में दी जाने वाली कोई भी सहायता पूरी तरह पारदर्शी और कानूनी है। यह केवल शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तीकरण और प्रशासनिक क्षमता निर्माण जैसे क्षेत्रों तक सीमित है। बावजूद इसके विशेषज्ञों का कहना है कि नेपाल की संवेदनशील राजनीति में ऐसे आरोप आसानी से राजनीतिक हथियार बन जाते हैं I

रूस का दृष्टिकोण रंग क्रांति की परछाई :
रूसी मीडिया संस्थान आरटी और स्पुतनिक ने नेपाल के छात्र-युवा आंदोलन की तुलना यूक्रेन (2004, 2014) और जॉर्जिया (2003) जैसे रंग क्रांति अभियानों से की है। इन आंदोलनों में जनता की असंतोषपूर्ण भावनाओं का इस्तेमाल कर पश्चिमी देशों, खासकर अमेरिका ने राजनीतिक सत्ता परिवर्तन की जमीन तैयार की थी। रूस का आरोप है कि नेपाल की मौजूदा अस्थिरता का पैटर्न भी वैसा ही है,जहां भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे असली मुद्दों के बीच विदेशी ताकतें अपने हित साधना चाहती हैं। रूस यह भी कह रहा है कि अमेरिका नेपाल में युवा शक्ति को एक सॉफ्ट टूल की तरह इस्तेमाल कर सकता है, ताकि भारत व चीन दोनों पर दबाव बनाया जा सके।

चीन की पहली प्रतिक्रिया…आंतरिक समस्याएं हल कर सामाजिक व्यवस्था बहाल करे नेपाल :
चीन ने नेपाल के सभी वर्गों से घरेलू मुद्दों को अच्छे से संभालने और सामाजिक व्यवस्था एवं स्थिरता बहाल करने का आग्रह किया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने नेपाल की स्थिति पर पहली टिप्पणी में कहा कि चीन और नेपाल पारंपरिक रूप से मित्र और पड़ोसी हैं। उम्मीद है कि नेपाल के सभी वर्ग घरेलू मुद्दों को ठीक से संभालेंगे। सामाजिक व्यवस्था और क्षेत्रीय स्थिरता को जल्द बहाल करेंगे। हालांकि, लिन ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के इस्तीफे पर टिप्पणी नहीं की। उन्हें चीन समर्थक नेता माना जाता है, जिन्होंने बीजिंग के साथ काठमांडो के रणनीतिक संबंधों को गहरा करने में अहम भूमिका निभाई। नेपाल स्थित चीनी दूतावास ने आपातकालीन सुरक्षा व्यवस्था शुरू की है और नेपाल से चीनी नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने को कहा है।

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