इंद्रदेव की मुस्कान, गुवाहाटी परेशान – बारिश ने फिर डुबोया शहर

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी, 16 सितंबर। जैसे ही इंद्रदेव मुस्कुराते हैं, गुवाहाटीवासियों की मुस्कान गायब हो जाती है। मंगलवार की सुबह हुई तेज बारिश ने एक बार फिर शहर को जलमग्न कर दिया। चंद मिनटों की बारिश ने राजधानी को “आर्टिफ़िशियल फ्लडिंग” की चपेट में ले लिया और दशकों पुरानी जलजमाव की समस्या सामने ला दी।

जलमग्न सड़कें और बाधित यातायात :
अनिल नगर, नवीन नगर, बेलतला सर्वे, हातीगांव, ज़ू रोड, रुक्मिणीगांव और आमबाड़ी जैसे इलाकों की सड़कें घुटनों तक पानी में डूब गईं। चांदमारी में रेल पटरियाँ जलमग्न हो गईं, जिससे ट्रेनों में देरी की आशंका है। व्यस्त सड़कों पर जाम और आवागमन की मुश्किलों ने लोगों की परेशानियाँ बढ़ा दीं।

सरकार की चेतावनी :
असम सरकार ने एडवाइजरी जारी कर लोगों से अपील की है कि वे आवश्यक कारणों को छोड़कर घरों से बाहर न निकलें। सरकार ने कहा कि यह कदम जनसुरक्षा को देखते हुए उठाया गया है।

गुवाहाटी की पुरानी समस्या – ड्रेनेज की खामियां :
गुवाहाटी में बाढ़ और जलजमाव का मुख्य कारण कमजोर ड्रेनेज व्यवस्था और wetlands के अंधाधुंध अतिक्रमण हैं।

बरसाती पानी के प्राकृतिक बहाव वाले क्षेत्र नष्ट हो चुके हैं।

तेज और केंद्रित बारिश (intense rainfall) पुराने नालों की क्षमता से अधिक होती है।

पिछले वर्षों में “Mission Flood Free” जैसी योजनाएँ बनीं, लेकिन नालों की सफाई और नए ड्रेन्स का निर्माण सीमित ही रह गया।

नागरिक इलाकों में अनियोजित निर्माण ने स्थिति को और बिगाड़ दिया।

समाधान की दिशा – क्या किया जा सकता है?
विशेषज्ञों के अनुसार गुवाहाटी को स्थायी समाधान के लिए तुरंत ठोस कदम उठाने होंगे:

  1. सतत ड्रेनेज प्रणाली – नालों और जलनिकासी मार्गों का वैज्ञानिक पुनर्निर्माण और नियमित सफाई।
  2. Wetlands का संरक्षण – अतिक्रमण हटाकर प्राकृतिक जल सोखने वाले क्षेत्रों को पुनर्जीवित करना।
  3. शहरी योजना – नए निर्माणों में जलनिकासी और वर्षा जल प्रबंधन (rainwater harvesting) को अनिवार्य करना।
  4. समुदाय की भागीदारी – नागरिक स्तर पर नालों को कचरे से मुक्त रखने की जागरूकता।
  5. टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल – मौसम पूर्वानुमान, स्मार्ट सेंसर और भू-स्थानिक डेटा से जलभराव वाले क्षेत्रों की निगरानी।

बार-बार जलमग्न होती राजधानी की यह तस्वीर हमें याद दिलाती है कि समस्या सिर्फ आसमान से नहीं, बल्कि ज़मीन पर की गई अनियोजित नीतियों और ढांचे की भी है। गुवाहाटी को यदि “पूर्वोत्तर का प्रवेश द्वार” बनाए रखना है, तो अब स्थायी समाधान में देरी नहीं की जा सकती।

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