चिंताजनक: बोतलबंद पानी के साथ हर साल निगल रहे 90,000 माइक्रोप्लास्टिक, शरीर में जाकर खास अंगों को कर रहे कमजोर

थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I बोतलबंद पानी का विकल्प चुनना स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों के लिए खतरनाक है। जो लोग बोतलबंद पानी पीते हैं, वे नल का पानी पीने वालों की तुलना में औसतन 90,000 माइक्रोप्लास्टिक कण अधिक निगल जाते हैं। ये कण खून तक पहुंचकर दिल, दिमाग और अन्य महत्वपूर्ण अंगों को प्रभावित कर सकते हैं। कॉनकॉर्डिया विश्वविद्यालय मांट्रियल (कनाडा) के ताजा अध्ययन के मुताबिक, औसतन हर व्यक्ति सालाना 52,000 माइक्रोप्लास्टिक कण निगल लेता है। जबकि बोतलबंद पानी पीने वाले अतिरिक्त 90,000 कण शरीर में ले जाते हैं। इन कणों का आकार 1 माइक्रोन से 5 मिलीमीटर तक पाया गया है।
ये कण प्लास्टिक बोतलों से निर्माण, भंडारण, धूप और तापमान के असर से टूटकर निकलते हैं। शोध का नेतृत्व करने वाली सारा साजेदी के अनुसार माइक्रोप्लास्टिक शरीर में पहुंचने के बाद खून में घुलकर अंगों तक पहुंच जाते हैं। इनसे लगातार सूजन,कोशिकाओं पर ऑक्सीडेटिव दबाव, हार्मोनल असंतुलन,प्रजनन क्षमता में कमी दिमागी नुकसानऔर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हो सकती हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि वास्तविक खतरा तात्कालिक जहर से नहीं बल्कि लंबे समय तक जमा होते रहने वाले जहर से है। ब्रिटिश मेडिकल जर्नल ग्लोबल हेल्थ की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में हर मिनट 10 लाख बोतलबंद पानी की बोतलें खरीदी जाती हैं।
शोधकर्ताओं द्वारा की गई जांच में 10 से 78 फीसदी बोतलबंद पानी के नमूनों में दूषित तत्व मिले। इनमें माइक्रोप्लास्टिक, फथलेट्स और बिस्फेनॉल-ए (बीपीए) जैसे रसायन शामिल हैं, जो हृदय रोग, मधुमेह और मोटापे जैसी बीमारियों का कारण बन सकते हैं। लंबे समय तक स्टोर करने या धूप-गर्मी में रखने से बोतलों से हानिकारक रसायन रिसने का खतरा और बढ़ जाता है।
पर्यावरणीय चिंता :
बोतलबंद पानी न सिर्फ स्वास्थ्य बल्कि पर्यावरण और जलवायु पर भी बोझ डाल रहा है। निर्माण के दौरान प्लास्टिक बोतलों के लिए कच्चे माल की खपत, निर्माण प्रक्रिया में भारी कार्बन उत्सर्जन, इस्तेमाल के बाद विशाल प्लास्टिक कचरा बहुत बड़ी पर्यावरणीय चिंता का कारण है। शोधकर्ताओं ने सरकारों से बोतलबंद पानी पर भी सख्त नीतियां लागू करने की अपील की है।
भारत में करीब 20,000 करोड़ रुपये का बाजार :
भारत बोतलबंद पानी का दुनिया के सबसे बड़े उपभोक्ता बाजारों में से एक है। भारतीय मानक ब्यूरो ने पैकेज्ड ड्रिंकिंग वॉटर और मिनरल वॉटर के लिए कड़े मानक तय किए हैं। इसके बावजूद देश में अक्सर मानक से कम गुणवत्ता वाले बोतलबंद पानी बिकने की शिकायतें सामने आती रही हैं। भारत में बोतलबंद पानी का बाजार 2023 में 20,000 करोड़ था।
प्लास्टिक की जगह यह विकल्प अपना सकते हैं उपभोक्ता :
प्लास्टिक बोतलों के सुरक्षित और टिकाऊ विकल्प के रूप में स्टेनलेस स्टील, कांच और एल्युमिनियम की बोतलें तेजी से लोकप्रिय हो रही हैं। ये न केवल लंबे समय तक चलती हैं बल्कि इनमें से हानिकारक रसायन भी नहीं रिसते।