जुबिन गर्ग की मौत पर संजीव नारायण की चुप्पी टूटी, आरोपों को बताया “झूठा और पीड़ादायी”

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी, 24 सितंबर। असम के लोकप्रिय गायक जुबिन गर्ग की असमय मौत को लेकर उठे आरोपों की लहर के बीच एएम टेलीविज़न के सीएमडी डॉ. संजीव नारायण ने आखिरकार चुप्पी तोड़ दी है। उन्होंने अपने खिलाफ फैली अफवाहों और आरोपों को “दुर्भावनापूर्ण, पीड़ादायी और बेहद अनुचित” बताया।

नारायण ने कहा कि 19 से 23 सितंबर तक उन्होंने जानबूझकर चुप्पी साधी ताकि असम शांति से जुबिन को शोकमग्न होकर विदाई दे सके। उन्होंने कहा—
“जुबिन मेरे परिवार जैसा था। जब तक उसके अंतिम संस्कार पूरे नहीं हो जाते, तब तक मेरे बोलने का कोई हक़ नहीं था। लेकिन इस बीच जो झूठ फैलाया गया, उसने मुझे और मेरे परिवार को गहराई तक चोट पहुंचाई।”

एक वायरल आरोप में कहा गया था कि 18 सितंबर को सिंगापुर में नारायण ने एक निजी पार्टी रखी थी, जिसमें जुबिन शामिल हुए। नारायण ने इस आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा कि उस दिन वे गुवाहाटी में फिल्म “शहीद प्रणाम तुमाक” के प्रीमियर में थे। उन्होंने रात 7:50 बजे गुवाहाटी से उड़ान भरी और 11:30 बजे कोलकाता से सिंगापुर रवाना हुए। उन्होंने सबूत के तौर पर बोर्डिंग पास और समय-सीमा प्रस्तुत की। नारायण ने कहा—
“जब वीडियो का समय 9:39 PM सिंगापुर का था, तब मैं गुवाहाटी एयरपोर्ट पर ही था। ऐसे में पार्टी होस्ट करना तो दूर, वहां होना भी असंभव था।”

दूसरे आरोप में कहा गया कि जुबिन को समुद्र में ले जाने वाली यॉट नारायण ने बुक कराई थी। उन्होंने इस दावे को भी गलत बताते हुए कहा कि वे 19 सितंबर को सुबह 6:30 बजे सिंगापुर पहुंचे, होटल में चेक-इन किया और दोपहर तक आराम कर रहे थे, तभी हादसे की सूचना मिली। नारायण ने सफाई दी कि मुझे नहीं पता था कि यॉट किसने बुक की थी। बाद में पता चला कि यह बुकिंग वहां के असमिया समुदाय के सदस्य तनमय ने की थी।

नारायण ने बताया कि वे जेटी पर पहुंचे जहां जुबिन को सीपीआर दिया जा रहा था। उन्होंने गुस्से में सवाल किया कि जुबिन को अस्पताल ले जाने में देर क्यों हुई। उन्होंने कहा कि पुलिस ने केवल उन्हें एंबुलेंस में जाने की इजाजत दी, लेकिन उन्होंने आग्रह कर सिद्धार्थ को भी साथ भेजा क्योंकि वह जुबिन का मेडिकल इतिहास जानते थे।
लंबे प्रयासों के बावजूद डॉक्टरों ने जुबिन को शाम 5:15 बजे (सिंगापुर समय) मृत घोषित कर दिया।

नारायण भावुक होकर बोले—
जनता के गुस्से ने मुझे अपने 35 साल पुराने दोस्त को अंतिम विदाई देने का अधिकार भी छीन लिया। हमें सलाह दी गई कि हम अंतिम संस्कार में शामिल न हों। यह घाव कभी नहीं भरेगा।

उन्होंने कहा कि कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर झूठे दावे फैला कर माहौल को भड़काया।, यह साजिश मेरे और मेरे परिवार के लिए भावनात्मक रूप से विनाशकारी रही। हम भी शोक मना रहे थे, लेकिन इस दौरान हमारी गरिमा को कुचल दिया गया।

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