Diwali: व्यापारिक इतिहास का सबसे बड़ा त्योहारी कारोबार, दिवाली पर देश में हुई 6.05 लाख करोड़ की रिकॉर्ड बिक्री

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली I कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने अपनी रिसर्च शाखा ‘कैट रिसर्च एंड ट्रेड डेवलपमेंट सोसाइटी’ द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के आधार पर देशभर के 60 प्रमुख वितरण केंद्रों, जिनमें सभी राज्यों की राजधानियां एवं टियर-2 और टियर-3 शहर शामिल हैं, पर आधारित ‘विस्तृत दीपावली त्योहार बिक्री 2025’ पर रिसर्च रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के अनुसार, इस वर्ष दीपावली पर देशभर में कुल बिक्री 6.05 लाख करोड़ रुपये तक पहुंची है। इसमें 5.40 लाख करोड़ रुपये का वस्तु व्यापार और 65 हजार करोड़ रुपये का सेवा व्यापार शामिल है। ये अब तक का देश के व्यापार इतिहास का सबसे बड़ा त्योहारी कारोबार है।

दिल्ली के चांदनी चौक के सांसद एवं कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने बताया कि रिपोर्ट यह दर्शाती है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जीएसटी दरों में राहत और स्वदेशी अपनाने के ‘मजबूत ब्रांड एंबेसडर’ के रूप में उभरे हैं, जिन्होंने व्यापारियों और उपभोक्ताओं दोनों को अभूतपूर्व रूप से प्रेरित किया है। प्रधानमंत्री मोदी का ‘वोकल फॉर लोकल’ और ‘स्वदेशी दीपावली’ का आह्वान जनता के बीच गहराई से गूंजा। 87% उपभोक्ताओं ने भारतीय वस्तुओं को विदेशी वस्तुओं के मुकाबले प्राथमिकता दी, जिससे चीनी उत्पादों की मांग में तेज गिरावट दर्ज की गई। व्यापारियों ने बताया कि भारतीय निर्मित वस्तुओं की बिक्री पिछले वर्ष की तुलना में 25% बढ़ी है।

खंडेलवाल के अनुसार, दीपावली 2025 के आंकड़े पिछले वर्ष (₹4.25 लाख करोड़) की तुलना में 25% की वृद्धि दर्शाते हैं। मुख्य रूप से गैर-कॉरपोरेट एवं पारंपरिक बाजारों ने कुल व्यापार में 85% योगदान दिया, जो भारतीय खुदरा बाजारों और छोटे व्यापारियों की शानदार वापसी को रेखांकित करता है। कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बीसी भरतिया ने बताया कि दीपावली की बिक्री में किराना एवं एफएमसीजी 12%, सोना–चाँदी 10%, इलेक्ट्रॉनिक्स एवं इलेक्ट्रिकल्स 8%, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स 7%, रेडीमेड परिधान 7%, गिफ्ट आइटम 7%, होम डेकोर 5%, फर्निशिंग एवं फर्नीचर 5%, मिठाई एवं नमकीन 5%, वस्त्र 4%, पूजन सामग्री 3%, फल एवं मेवे 3%, बेकरी एवं कन्फेक्शनरी 3%, फुटवियर 2% तथा अन्य विविध वस्तुएं 19% शामिल हैं।

उन्होंने कहा कि सेवा क्षेत्र में भी भारी वृद्धि दर्ज हुई और इसमें ₹65,000 करोड़ का व्यापार हुआ। पैकेजिंग, हॉस्पिटैलिटी, टैक्सी सेवाएं, ट्रैवल, इवेंट मैनेजमेंट, टेंट एवं सजावट, मैनपावर और डिलीवरी जैसे क्षेत्रों में भी अभूतपूर्व गतिविधि रही, जिससे त्योहारी अर्थव्यवस्था के दायरे का विस्तार हुआ।

खंडेलवाल ने कहा, जीएसटी दरों का तर्कसंगठन, उपभोक्ता मांग को बढ़ावा देने में बेहद प्रभावी सिद्ध हुआ है। सर्वे में शामिल 72% व्यापारियों ने माना कि उनके अधिक बिक्री का सीधा कारण जीएसटी दरों में कटौती रही है। उपभोक्ताओं ने भी मूल्य स्थिरता से संतुष्टि व्यक्त की, जिससे त्योहारी खर्च में निरंतरता बनी रही।

दोनों नेताओं ने कहा कि व्यापारी और उपभोक्ता भावना पिछले एक दशक के उच्चतम स्तर पर हैं।ट्रेडर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (टीसीआई): 8.6/10 तथा कंज्यूमर कॉन्फिडेंस इंडेक्स (सीसीआई): 8.4/10 के स्तर पर है। उनका मानना है कि उपभोग में यह वृद्धि दीर्घकालिक रूप से स्थायी है, जो नियंत्रित मुद्रास्फीति, बढ़ती आय, और राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास से प्रेरित है। रिपोर्ट में कहा गया है कि यह उत्साहपूर्ण स्थिति सर्दियों, विवाह सीजन और जनवरी के मध्य से शुरू होने वाले अगले त्योहारी दौर तक जारी रहेगी।

रोजगार एवं आर्थिक प्रभाव पर बोलते हुए खंडेलवाल ने बताया कि गैर-कारपोरेट एवं गैर-कृषि क्षेत्र, जिसमें 9 करोड़ छोटे व्यापारी और लाखों विनिर्माण इकाइयाँ शामिल हैं, आज भी भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन हैं। दिवाली 2025 के व्यापार से 50 लाख अस्थायी रोजगार सृजित हुए हैं। ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों ने कुल व्यापार में 28% योगदान दिया, जो महानगरों से परे आर्थिक सशक्तिकरण का प्रमाण है।
खंडेलवाल ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं, जिसमें छोटे व्यापारियों एवं निर्माताओं के लिए जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल किया जाए। क्रेडिट तक पहुंच आसान की जाए। टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग हब विकसित किए जाएँ। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर बाजारों का डिजिटलीकरण किया जाए। इसके लिए बैंक कमीशन को समाप्त किया जाए। शहरी बाजारों में यातायात, पार्किंग और अतिक्रमण प्रबंधन को सुदृढ़ किया जाए। ‘स्वदेशी’ अभियान को सरकार और व्यापार जगत के संयुक्त प्रयास से निरंतर प्रोत्साहित किया जाए। व्यापारी और लाखों विनिर्माण इकाइयाँ शामिल हैं, आज भी भारत की आर्थिक वृद्धि का प्रमुख इंजन हैं। दिवाली 2025 के व्यापार से 50 लाख अस्थायी रोजगार सृजित हुए हैं। ग्रामीण एवं अर्ध-शहरी क्षेत्रों ने कुल व्यापार में 28% योगदान दिया, जो महानगरों से परे आर्थिक सशक्तिकरण का प्रमाण है।

खंडेलवाल ने कहा कि रिपोर्ट के आधार पर सरकार को कई सुझाव दिए गए हैं, जिसमें छोटे व्यापारियों एवं निर्माताओं के लिए जीएसटी प्रक्रियाओं को सरल किया जाए। क्रेडिट तक पहुंच आसान की जाए। टियर 2 एवं टियर 3 शहरों में लॉजिस्टिक्स एवं वेयरहाउसिंग हब विकसित किए जाएँ। डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देकर बाजारों का डिजिटलीकरण किया जाए। इसके लिए बैंक कमीशन को समाप्त किया जाए। शहरी बाजारों में यातायात, पार्किंग और अतिक्रमण प्रबंधन को सुदृढ़ किया जाए। ‘स्वदेशी’ अभियान को सरकार और व्यापार जगत के संयुक्त प्रयास से निरंतर प्रोत्साहित किया जाए।

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