असम सरकार ने जनजातीय और चाय बागान समुदायों के लिए दो-संतान नीति में दी छूट,मुख्यमंत्री हिमंत बोले – “इन सूक्ष्म समुदायों पर जनसंख्या नियंत्रण थोपना उनके अस्तित्व के लिए खतरा”

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी, 24 अक्टूबर।
असम सरकार ने राज्य की जनसंख्या नियंत्रण नीति में बड़ा बदलाव करते हुए जनजातीय समाज, चाय बागान के मजदूरों तथा मोरान और मोटक समुदायों के लिए दो-संतान नीति में छूट देने का निर्णय लिया है।

मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने गुरुवार को घोषणा करते हुए कहा कि इन समुदायों की संख्या बहुत कम है और यदि उन पर सख्त जनसंख्या सीमा लागू की गई, तो अगले 50 वर्षों में इनके विलुप्त होने की आशंका पैदा हो सकती है।

शर्मा ने कहा —

“हमने जनजातीय लोगों, चाय बागान कर्मियों, मोरान और मोटक समुदायों के लिए दो-संतान नियम में छूट देने का निर्णय लिया है, क्योंकि ये सूक्ष्म समुदाय हैं। यदि हम इनकी जनसंख्या वृद्धि पर रोक लगाएंगे, तो ये आने वाले दशकों में समाप्त हो सकते हैं। समाजशास्त्रियों की राय लेने के बाद हमने यह निर्णय लिया कि इन चार समूहों के लिए नीति में लचीलापन आवश्यक है।”

यह निर्णय असम की 2017 की जनसंख्या नियंत्रण नीति से एक बड़ा बदलाव है, जिसके तहत दो से अधिक बच्चों वाले व्यक्तियों को सरकारी नौकरियों और पंचायत चुनावों में भाग लेने से वंचित किया गया था। अब इन चार समुदायों को इस नियम से छूट दी जाएगी।

2019 में लागू असम पब्लिक सर्विसेज (अप्लीकेशन ऑफ स्मॉल फैमिली नॉर्म्स इन डायरेक्ट रिकूटमेंट) नियम के तहत दो से अधिक संतान वाले व्यक्ति को सरकारी सेवाओं और स्थानीय निकाय चुनावों से अयोग्य घोषित किया जाता था।

मुख्यमंत्री ने बताया कि यह निर्णय राज्य सरकार के उस व्यापक प्रयास का हिस्सा है जिसके तहत असम की मूल जनजातियों और स्थानीय समुदायों की पहचान, भूमि और अस्तित्व की रक्षा सुनिश्चित की जा रही है।

हाल ही में सरकार ने “जाति, माटी, भेती” (समुदाय, भूमि और अस्तित्व) की सुरक्षा के लिए दो नए कानून लाने की घोषणा की है। इसके अलावा मई 2025 में सरकार ने सीमावर्ती क्षेत्रों में मूल निवासियों को आत्मरक्षा के लिए हथियार लाइसेंस जारी करने की प्रक्रिया भी शुरू की थी।

शर्मा ने कहा कि सरकार का उद्देश्य विकास के साथ-साथ राज्य के सभी मूल समुदायों के अस्तित्व और संतुलन को बनाए रखना है।

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