Putin India Visit: भारत के उत्पादों से श्रमिकों तक, पुतिन के व्यापार एजेंडे में क्या, तेल को लेकर क्या तैयारी?
थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 2022 में रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से अब पहली बार भारत दौरे पर आ रहे हैं। 4-5 दिसंबर को उनका भारत का दौरा शुरू हो रहा है। पुतिन के इस दौरे पर पूरी दुनिया की नजर रहने वाली है। दरअसल, पुतिन के इस दौरे से भारत और रूस के कई वर्षों पुराने रिश्तों को एक नई ऊर्जा मिलना तय है। जहां रूस अब यूक्रेन से संघर्ष के बीच कूटनीतिक स्तर पर भारत का समर्थन चाहता है, वहीं भारत भी कई अहम जरूरतों को रूस के जरिए पूरा करने पर ध्यान दे रहा है। इनमें व्यापारिक जरूरतें और रक्षा समझौते सबसे अहम हैं।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का यह भारत दौरा कितना अहम साबित होने वाला है? पुतिन के इस दौरे से भारत को क्या-क्या मिल सकता है? व्यापार और रक्षा के क्षेत्र में क्या संभावनाएं हैं? इसके अलावा इस दौरे में क्या नया होगा और यह किस तरह भारत को फायदा पहुंचाएगा? आइये जानते हैं…
भारत दौरे पर क्या-क्या करेंगे पुतिन?: PM मोदी के साथ रात्रिभोज, राजघाट का दौरा और कई समझौतों पर हस्ताक्षर
- व्यापार पर सबसे ज्यादा जोर :
मौजूदा समय में रूस-यूक्रेन संघर्ष के चलते रूस पर पश्चिमी देशों ने कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। इसके चलते रूस के पास अब व्यापार के लिहाज से बेहद कम मित्र देश बचे हैं। हालांकि, इस कठिन परिस्थिति में भी भारत उसके तेल और कई अन्य उत्पादों का आयातक और निर्यातक भी बना हुआ है। यह स्थिति तब भी जारी है, जब रूस से व्यापार के चलते भारत को अमेरिका से 50 फीसदी आयात शुल्क (टैरिफ) का सामना करना पड़ा है।
इस स्थिति में भी जब रूस के राष्ट्रपति भारत दौरा शुरू करेंगे तो उनकी निगाह दोनों देशों के व्यापार समझौते पर रहेगी। पुतिन के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव पहले ही कह चुके हैं कि कुछ देश भारत-रूस के बीच संबंधों में अवरोध पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं, इसके बावजूद भारत-रूस अपना द्विपक्षीय व्यापार अगले पांच साल में 100 अरब डॉलर तक ले जाने की कोशिश कर रहे हैं।
II). रूपये-रूबल में लेन-देन का व्यापार तंत्र स्थापित करने की कोशिश :
रूस ने कुछ समय पहले ही अपने और भारत के व्यापार को बाहरी देशों के प्रभाव से बचाने के लिए एक तंत्र खड़ा करने की बात कही थी। इसके तहत क्रेमलिन एक ऐसा आर्किटेक्चर बनाने वाला है, जिससे दोनों देश सिर्फ अपनी मुद्राओं में ही लेन-देन करेंगे और इसमें डॉलर का कोई इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। यह तंत्र तेल के अलावा बाकी उत्पादों के लिए भी लागू होगा।
पुतिन ने खुद भारत दौरे से पहले वीटीबी निवेश फोरम को संबोधित करते हुए कहा था कि पीएम मोदी के साथ उनकी बातचीत भारत से आयात बढ़ाने पर केंद्रित होगी। यानी रूस अब भारत की चीजों का भी बराबर का खरीदार बनने की कोशिश करेगा। इसी के तहत पुतिन नई दिल्ली में भारत-रूस बिजनेस फोरम में भी हिस्सा लेंगे, जहां व्यापार और निवेश बढ़ाने पर चर्चा होगी।
एक रिपोर्ट के मुताबिक, रूस चाहता है कि उसके बाजार में भारतीय उत्पादकों के लिए अच्छी खासी जगह हो, जिससे दोनों देशों में औद्योगिक स्तर पर सहयोग बढ़ेगा। साथ ही दोनों देश साझा प्रोजेक्ट्स पर भी काम कर सकेंगे और उच्च तकनीक को विकसित करने में भी यह मददगार साबित होगा। रूस भारत के मानव संसाधन को भी अपने देश में बुलाने की कोशिश कर रहा है।
III). भारत के लिए तेल सबसे बड़ा मुद्दा :
भारत की बात करें तो उसे रूस की पहलों से नया बाजार मिलने की संभावना सबसे ज्यादा है। हालांकि, भारत के लिए रूस से तेल खरीद एक बड़ा मुद्दा रहेगा। इसकी वजह है अमेरिका की तरफ से लगाया गया अतिरिक्त 25 फीसदी टैरिफ, जिससे भारत पर कुल आयात शुल्क 50 फीसदी पहुंच चुका है। भारत उम्मीद करेगा कि रूस तेल खरीद को लेकर उसकी चिंताओं का हल ढूंढेगा। सरकार के सूत्रों के मुताबिक, पुतिन के दल में रूसी तेल फर्म रोजनेफ्ट और गैजप्रॉमनेफ्ट के अधिकारी शामिल रहेंगे। इन दोनों ही फर्म्स पर अमेरिकी प्रतिबंध लागू हैं, जिसके चलते भारत को रूस से तेल खरीद कम करनी पड़ी है। ऐसे में पुतिन खुद भी रूस के तेल निर्यात के मुद्दे को हल करने की कोशिश में रहेंगे।
कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि भारत सरकार रूस के सुदूर पूर्व में तेल-गैस खनन के लिए चल रहे सखालिन-1 प्रोजेक्ट में ओएनजीसी विदेश लिमिटेड के लिए 20 फीसदी हिस्सेदारी की मांग का प्रस्ताव रख सकती है।

