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INC: ‘विदेशी गणमान्यों को विपक्षी नेताओं से न मिलने को कहती है सरकार’, पुतिन के दौरे से पहले राहुल का आरोप

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को आरोप लगाया कि सरकार अपनी ‘असुरक्षा’ के कारण विदेश से आने वाले गणमान्य व्यक्तियों को कहती है कि वे विपक्ष के नेता (एलओपी) से न मिलें। राहुल गांधी का यह बयान तब सामने आया है, जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन कुछ ही घंटे बाद दो दिन के भारत दौरे पर आने वाले हैं।

लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा, अब तक परंपरा रही है कि विदेश से आने वाले नेता विपक्ष के नेता से भी मिलते थे। यह (पूर्व प्रधानमंत्री) अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह के समय में भी होता था। लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्रालय इस परंपरा का पालन नहीं कर रहे हैं।

राहुल गांधी ने संसद परिसर में पत्रकारों से कहा, आम तौर पर परंपरा है कि विदेश से आने वाले नेता विपक्ष के नेता से भी मिलते हैं। यह वाजपेयी जी के समय होता था, मनमोहन सिंह जी के समय भी। लेकिन इन दिनों सरकार विदेशियों से कहती है कि वे मुझसे न मिलें। विदेश जाते समय भी यही होता है। हमें संदेश मिलता है कि सरकार ने कहा है कि ‘आपसे न मिलें’।

उन्होंने कहा कि विपक्ष का नेता भी भारत का प्रतिनिधित्व करता है और इन बैठकों से विदेशी नेताओं को एक अलग नजरिया मिलता है। लेकिन सरकार नहीं चाहती कि विदेशी नेता विपक्ष से मिलें। उन्होंने कहा, यह परंपरा है, लेकिन मोदी जी और विदेश मंत्रालय इस परंपरा का पालन नहीं करते। जब पूछा गया कि सरकार ऐसा क्यों करती है, तो उन्होंने कहा, यह उनकी असुरक्षा के कारण है।

पुतिन आज शाम भारत पहुंचेंगे और शुक्रवार को प्रधानमंत्री मोदी के साथ शिखर बैठक करेंगे। इस बैठक में रक्षा संबंधों को मजबूत करना, भारत-रूस व्यापार को बाहरी दबावों से सुरक्षित रखना और छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों पर सहयोग जैसे मुद्दों पर चर्चा होने की उम्मीद है।

लोकतंत्र में सभी को अपनी राय रखने का अधिकार: प्रियंका गांधी
राहुल गांधी के इस आरोप पर कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी ने कहा, यह बहुत अजीब है। एक प्रोटोकॉल होता है और सभी आने वाले गणमान्य व्यक्ति नेता प्रतिपक्ष से मिलते हैं। सरकार इस प्रोटोकॉल का उल्लंघन कर रही है और उनकी सभी नीतियां इसी पर आधारित हैं। वे नहीं चाहते हैं कि कोई अपनी आवाज उठाए। वे किसी और की राय नहीं सुनना चाहते हैं। उन्हें लोकतंत्र के प्रोटोकॉल का पालन करना चाहिए। भगवान जाने उन्हें किस बात का डर है। लोकतंत्र में सभी को अपनी राय रखने का अधिकार होना चाहिए, चर्चा होनी चाहिए और उचित कार्रवाई होनी चाहिए। सरकार असुरक्षित है और यह फैसला उसी का प्रतिबिंब है। इसे प्रोटोकॉल को तोड़कर और पलटकर उन्हें क्या मिलेगा? यह उनकी असुरक्षा है। दुनिया में लोकतंत्र की छवि धूमिल हुई है।

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