पंजाब में अकेले सरकार नहीं बना पायेगी बीजेपी , अकाली दल से गठबंधन करके ही मिलेगी सत्ताः अमरिंदर
थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I पंजाब की राजनीति एक बार फिर गरमा गई है और इस बार चर्चा के केंद्र में हैं दो बार मुख्यमंत्री रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह। भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य और कभी कांग्रेस के सबसे भरोसेमंद चेहरों में शुमार रहे अमरिंदर सिंह ने अब खुलकर भारतीय जनता पार्टी की कार्यशैली पर सवाल उठा दिए हैं। उनका आरोप सीधा और तीखा है। उन्होंने कहा है कि भाजपा में ज़मीनी नेताओं से कोई सलाह नहीं ली जाती, सभी फैसले दिल्ली से थोप दिए जाते हैं।
एक साक्षात्कार में अमरिंदर सिंह ने कहा कि भाजपा का ढांचा कठोर और केंद्रीकृत है, जबकि कांग्रेस में कम से कम परामर्श की परंपरा थी। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा में उनके 60 वर्षों के राजनीतिक अनुभव का कोई उपयोग नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा, “मैं खुद को पार्टी पर थोप नहीं सकता, लेकिन यह सच है कि मुझसे कभी पूछा ही नहीं जाता।” हालांकि, अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस में वापसी की सभी अटकलों को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि 2021 में जिस अपमानजनक ढंग से उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाया गया था उसकी पीड़ा आज भी उनके भीतर है। साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि अगर सोनिया गांधी उनसे मदद मांगें तो वे व्यक्तिगत रूप से मदद करेंगे, लेकिन राजनीतिक रूप से नहीं। यह बयान अपने आप में कांग्रेस के लिए एक कटाक्ष भी है और एक बंद दरवाज़े का संकेत भी है।
वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रशंसा करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि मोदी का पंजाब से विशेष लगाव है और वे राज्य के लिए हरसंभव करेंगे। लेकिन साथ ही उन्होंने भाजपा संगठन को चेताया कि यदि पार्टी पंजाब में अपनी जड़ें मजबूत करना चाहती है, तो उसे तीन-चार कार्यकाल का इंतजार करना होगा और वह भी तभी संभव है जब ज़मीनी नेताओं को सुना जाए। अमरिंदर सिंह ने साफ कहा कि भाजपा अकेले दम पर पंजाब में सरकार नहीं बना सकती। उनके अनुसार, भाजपा का भविष्य शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ गठबंधन में ही है। उन्होंने दिवंगत प्रकाश सिंह बादल को पूरी तरह अविश्वसनीय और सुखबीर सिंह बादल को विश्वसनीय नेता बताते हुए संकेत दिया कि अंततः दोनों दल फिर साथ आएंगे। पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने कहा कि भाजपा पंजाब में केवल शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के साथ हाथ मिलाकर ही आगे बढ़ सकती है। उन्होंने दावा किया कि 60 साल के राजनीतिक अनुभव के कारण वह पंजाब की सोच को समझते हैं और भाजपा एवं अकाली दल अंततः एक साथ आ जाएंगे। अमरिंदर सिंह ने कहा कि गठबंधन के बिना कोई सरकार नहीं बन सकती और गठबंधन का अभाव भगवंत मान के मुख्यमंत्री बनने से भी ‘‘बड़ी आपदा’’ होगी। अमरिंदर सिंह ने कहा कि अब मजबूत सरकार बनाने की जिम्मेदारी भाजपा और शिअद पर है।
इस साक्षात्कार में अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी दोनों पर तीखे हमले किए। कांग्रेस को उन्होंने नेतृत्वहीन बताया और दावा किया कि पार्टी में मुख्यमंत्री पद के कम से कम नौ दावेदार हैं, लेकिन किसी का भी भविष्य उज्ज्वल नहीं है। वहीं आम आदमी पार्टी को लेकर उनका आकलन और भी निर्मम रहा। उन्होंने कहा कि ‘आप’ को मिला यह एकमात्र मौका है और अगला चुनाव आते-आते पार्टी बिखर जाएगी। उनका दावा था कि 2027 के विधानसभा चुनाव में ‘आप’ दहाई के आंकड़े तक भी नहीं पहुंच पाएगी।
मुख्यमंत्री भगवंत मान पर सीधा हमला करते हुए अमरिंदर सिंह ने कहा कि पंजाब भिखारी राज्य बन चुका है, निवेश ठप है और शासन केवल टीवी पर चुटकुले सुनाने तक सीमित रह गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि वास्तविक फैसले अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया ले रहे हैं और भगवंत मान केवल नाम के मुख्यमंत्री हैं।
राजनीतिक तापमान तब और बढ़ गया जब अमरिंदर सिंह ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनकी पत्नी नवजोत कौर सिद्धू पर भी तीखा हमला बोला। नवजोत कौर द्वारा “500 करोड़ रुपये देकर मुख्यमंत्री बनने” वाले बयान को उन्होंने पूरी तरह झूठ बताया और सिद्धू दंपती को अस्थिर करार दिया। अमरिंदर सिंह ने यहां तक कह दिया कि नवजोत सिंह सिद्धू को राजनीति छोड़कर क्रिकेट कमेंट्री पर ध्यान देना चाहिए। इस बयान के बाद नवजोत कौर सिद्धू ने सोशल मीडिया पर पलटवार करते हुए अमरिंदर सिंह के मानसिक संतुलन पर सवाल उठाए और मुख्यमंत्री भगवंत मान से सुरक्षा की मांग तक कर डाली। उन्होंने राज्य में कानून-व्यवस्था, खनन माफिया और शराब माफिया को लेकर गंभीर आरोप लगाए, जिससे पंजाब की राजनीति में नया तूफान खड़ा हो गया है।
दूसरी ओर, राष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर अमरिंदर सिंह ने पाकिस्तान को लेकर दो टूक कहा कि उसने कभी भारत में स्थिरता नहीं चाही। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद बने हालात पर उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की आलोचना करते हुए कहा कि युद्धविराम का श्रेय लेने की कोशिश हास्यास्पद है।
देखा जाये तो अमरिंदर सिंह का यह विस्फोटक साक्षात्कार केवल व्यक्तिगत कुंठा का बयान नहीं, बल्कि पंजाब की राजनीति की गहरी बीमारी का एक्स-रे है। यह दर्शा रहा है कि भाजपा अब भी पंजाब को समझने में विफल रही है। वहीं कांग्रेस, जो कभी परामर्श की बात करती थी, आज अंदरूनी कलह और अविश्वास का शिकार है। वहीं आम आदमी पार्टी पर किया गया अमरिंदर का हमला दर्शा रहा है कि पंजाब में सत्ता दिल्ली के रिमोट से चल रही है।

