Gaurav Gogoi: ‘पीएम ने इतिहास को तोड़-मरोड़कर पेश किया’, प्रधानमंत्री के असम दौरे पर बोले कांग्रेस सांसद गोगोई
थर्ड आई न्यूज
गुवाहाटी I असम दौरे के दौरान प्रधानमंत्री के भाषणों को लेकर सियासी बहस तेज हो गई है। असम कांग्रेस अध्यक्ष गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राज्य में अपने संबोधनों में भारतीय इतिहास का तोड़ा-मरोड़ा रूप पेश किया। गोगोई ने गुवाहाटी में कहा कि प्रधानमंत्री के भाषण कांग्रेस पर हमले और इतिहास की व्याख्या को अपने हिसाब से ढालने तक सीमित रहे।
गोगोई ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री ने असम के लोकप्रिय गायक जुबीन गर्ग को श्रद्धांजलि नहीं दी, जबकि लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने श्रद्धांजलि दी थी, परिवार से भी मिले और न्याय की मांग की थी। कांग्रेस नेता आगे यह भी कहा कि इससे असम के लोगों की भावनाओं की अनदेखी झलकती है।
इतिहास पर विवाद :
गोगोई ने प्रधानमंत्री के उस दावे पर आपत्ति जताई, जिसमें कहा गया था कि आजादी से पहले असम को पूर्वी पाकिस्तान का हिस्सा बनाने की साजिश रची गई थी और कांग्रेस भी उसमें शामिल थी। प्रधानमंत्री ने कहा था कि इस साजिश के खिलाफ गोपीनाथ ने अपनी ही पार्टी के खिलाफ खड़े होकर असम की पहचान बचाई। गोगोई ने आरोप लगाया कि इस तरह की बातें इतिहास को एकतरफा ढंग से पेश करती हैं।
संवेदना बनाम समारोह :
कांग्रेस नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री लाइट्स, कैमरा और कोरियोग्राफ्ड समारोहों में इतने व्यस्त दिखे कि आम लोगों की पीड़ा और शोक दिखाई नहीं दिया। उन्होंने दावा किया कि न तो जुबीन गर्ग के परिवार से मुलाकात हुई और न ही उनके लाखों प्रशंसकों के लिए संवेदना के शब्द कहे गए। गोगोई के अनुसार, ऐसा लगा जैसे असम के लोगों का दर्द प्रधानमंत्री की नज़र से ओझल है।
मणिपुर का भी किया जिक्र :
गोगोई ने मणिपुर का उदाहरण देते हुए कहा कि वहां के युवाओं को भी प्रधानमंत्री के दौरे के दौरान ऐसा ही अनुभव हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि मणिपुर के लोग एक ऐसे “नाटक” के हिस्से बने, जिसमें प्रधानमंत्री निर्देशक से लेकर मुख्य अभिनेता तक की भूमिका में थे। इसके उलट राहुल गांधी ने मणिपुर का दो बार दौरा कर हिंसा पीड़ितों से मुलाकात की।
गोगोई ने कहा कि पूर्वोत्तर कोई नारा नहीं, बल्कि वहां के लोगों के खून-पसीने और बलिदान से भारत की धरती मजबूत हुई है। उन्होंने यह भी कहा कि पूर्वोत्तर सम्मान चाहता है और वही समर्थन पाएगा जो उसकी संस्कृति और परंपराओं का सम्मान करे। असम में प्रधानमंत्री का यह दौरा बीते सप्ताहांत हुआ था, जिसके बाद यह सियासी बयानबाज़ी सामने आई।

