Operation Sindoor: ‘…और मारना था’; पाकिस्तान के साथ संघर्ष रोकने पर IAF प्रमुख बोले- देश ने अच्छा फैसला लिया

थर्ड आई न्यूज

बंगलूरू I वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल अमरप्रीत सिंह ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद पाकिस्तान से हुए संघर्ष को रोकने के फैसले का समर्थन किया। उन्होंने कहा, ‘युद्ध में लोगों का अहंकार हावी हो जाता है। इसलिए संघर्ष बढ़ते चला जाता है। हमने एक अच्छा उदाहरण पेश किया। हमारा मकसद साफ था। हमारा मकसद आतंकियों को सबक सिखाना था, ताकि वे दुस्साहस करने से पहले दो बार सोचें और उन्हें पता चले कि उन्हें किस हद तक कीमत चुकानी पड़ सकती है। ऐसे में एक बार जब हमने अपना उद्देश्य हासिल कर लिया, तो हमें रुकने के सभी अवसर तलाशने चाहिए, नकि संघर्ष को जारी रखना चाहिए। हमने उस रात कई बार यह सुना। मेरे कुछ बहुत करीबी लोगों ने कहा, ‘और मारना था’। लेकिन क्या हम युद्ध जारी रख सकते हैं? हमें युद्ध क्यों जारी रखना, जब हम इसे रोक सकते हैं। राष्ट्र ने एक अच्छा निर्णय लिया। हम भी उस फैसले का हिस्सा थे, लेकिन इसे सिर्फ हम ही नहीं ले सकते थे। यह फैसला उच्च स्तर पर लिया गया। यह एक अच्छा फैसला था।’

वायु सेना प्रमुख ने शनिवार को ऑपरेशन सिंदूर की सफलता का श्रेय केंद्र सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिया। बंगलूरू स्थित एचएएल मैनेजमेंट अकादमी में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए भारतीय वायु सेना प्रमुख ने जोर देकर कहा कि सशस्त्र बलों पर कोई पाबंदी या दबाव नहीं था। अगर सशस्त्र बलों के रास्ते में कोई बाधा थी तो वह स्व-निर्मित थी।

‘सफलता का एक प्रमुख कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति’ :
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा, ‘सफलता का एक प्रमुख कारण राजनीतिक इच्छाशक्ति का होना था। बहुत स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति थी और हमें बहुत स्पष्ट निर्देश दिए गए थे। हम पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाए गए। अगर कोई बाधाएं थीं, तो वे स्व-निर्मित थीं। बलों ने तय किया कि नियम क्या होंगे। हमने तय किया कि हम तनाव को कैसे नियंत्रित करना चाहते हैं। हमें योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने की पूरी आजादी थी।’

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ, एनएसए की भूमिका पर बोले
उन्होंने आगे बताया कि कैसे चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) ने तीनों सशस्त्र बलों थल सेना, नौसेना और वायु सेना को एक-दूसरे के साथ समन्वय करने के लिए संगठित किया। उन्होंने कहा, ‘तीनों सेनाओं के बीच समन्वय था। सीडीएस के पद ने वाकई बड़ा बदलाव लाया। वह हमें एकजुट करने के लिए थे। एनएसए ने भी सभी एजेंसियों को एकजुट करने में बड़ी भूमिका निभाई।

राहुल गांधी ने लगाए थे आरोप :
इससे पहले लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने संसद में ऑपरेशन सिंदूर पर चर्चा के दौरान भारत सरकार की राजनीतिक इच्छाशक्ति पर सवाल उठाया था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान और इंडोनेशिया के डिफेंस अताशे कैप्टन शिव कुमार की टिप्पणियों का जिक्र करते हुए राहुल गांधी ने यह भी आरोप लगाया था कि भारत ने अपने लड़ाकू विमान इसलिए गंवाए, क्योंकि सशस्त्र बल राजनीतिक नेतृत्व के दबाव में थे।

पहलगाम हमले का जवाब ऑपरेशन सिंदूर :
दरअसल, भारत ने 22 अप्रैल को पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले के जवाब में 7 मई को ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया था। पहलगाम हमले में दहशतगर्दों ने 26 लोगों की निर्मम हत्या कर दी थी। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के तहत भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी ढांचों को निशाना बनाया था, जिसमें जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिजबुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों से जुड़े 100 से ज्यादा आतंकवादी मारे गए थे। हमले के बाद पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा और जम्मू-कश्मीर में सीमा पार से गोलाबारी की और साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में ड्रोन हमलों का प्रयास किया। जवाब में भारत ने संयमित पलटवार किया और पाकिस्तान के नूर खान एयरबेस सहित 11 एयरबेसों को निशाना बनाया। भारत ने पाकिस्तान के रडार सिस्टम, संचार केंद्रों और रनवे को नुकसान पहुंचाया था। इससे घुटनों पर आए पाकिस्तान ने 10 मई को भारत से सीजफायर की गुहार लगाई थी, जिससे भारतीय सेना ने मान लिया था।

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