Bangladesh:शेख हसीना को सुनाई गई मौत की सजा, जानिए क्या थे पांच आरोप; अब क्या हैं पूर्व पीएम के पास रास्ते?
थर्ड आई न्यूज
ढाका I बांग्लादेश की अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना को मानवता के खिलाफ अपराध के मामले में दोषी करार दिया गया है। विशेष न्यायाधिकरण ने पूर्व पीएम को सभी पांचों मामलों में दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई है। बांग्लादेश के ‘अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण’ ने शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमान खान कमाल और पूर्व आईजीपी चौधरी अब्दुल्ला अल मामून के खिलाफ मामलों की सुनवाई पूरी कर सजा का एलान किया।
अदालत के फैसले को लेकर बांग्लादेश में तनाव का माहौल है और सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने बंद का एलान किया है।
अभियोजन पक्ष ने शेख हसीना को मौत की सजा देने की मांग की थी :
शेख हसीना और अन्य पर आरोप था कि उन्होंने छात्र आंदोलन को कुचलने की कोशिश की और उनके नेतृत्व में जुलाई 2023 में सुरक्षा कार्रवाई में 1400 लोग मारे गए। अभियोजन पक्ष ने शेख हसीना को हिंसा के पीछे का मास्टरमाइंड बताते हुए मौत की सजा की मांग की थी। वहीं शेख हसीना और उनकी पार्टी का दावा है कि राजनीतिक प्रतिशोध के चलते उनके खिलाफ ये मुकदमें दर्ज किए गए। आइए जानते हैं कि शेख हसीना के खिलाफ कौन से थे वे पांच आरोप, जिनमें उन्हें मौत की सजा सुनाई गई।
पहला आरोप- अभियोजन पक्ष ने शेख हसीना और अन्य पर हत्या, हत्या के प्रयास, यातना और अन्य अमानवीय कृत्यों का आरोप लगाया। साथ ही शेख हसीना और अन्य पर अवामी लीग और सशस्त्र बलों द्वारा नागरिकों के विरुद्ध किए गए इन अपराधों को बढ़ावा देने, भड़काने, सुगम बनाने, इनमें सहभागी होने और रोकने में विफल रहने का भी आरोप लगाया गया। आरोप था कि हसीना की 14 जुलाई की प्रेस वार्ता के बाद, पूर्व गृह मंत्री असदुज्जमां, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक मामून और तत्कालीन सरकार के अन्य उच्च अधिकारियों ने मानवता के खिलाफ अपराध में सहयोग किया, सहायता की और इसमें सहभागी थे।
दूसरा आरोप- शेख हसीना पर हेलीकॉप्टरों, ड्रोनों और घातक हथियारों के इस्तेमाल से छात्र प्रदर्शनकारियों के सफाए का आदेश देने का आरोप है। अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि तत्कालीन गृह मंत्री और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक ने अपने अधीन कानून प्रवर्तन कर्मियों को निर्देश देकर इसमें मदद की।
तीसरा आरोप- शेख हसीना और पूर्व गृह मंत्री और तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक पर रंगपुर स्थित बेगम रोकैया विश्वविद्यालय के पास एक प्रदर्शनकारी छात्र अबू सईद की हत्या का आरोप थे। साथ ही शेख हसीना पर भड़काऊ बयानबाजी करने और प्रदर्शनकारी छात्रों के खिलाफ घातक हथियारों के इस्तेमाल का आदेश देने और असदुज्जमां और मामून पर इस आदेश को लागू करने में मदद का आरोप था।
चौथा आरोप- अभियुक्तों पर पिछले साल 5 अगस्त को ढाका के चंखरपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था। अभियोजन पक्ष ने दावा किया कि चंखरपुल में छह निहत्थे प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या अभियुक्तों के आदेश, उकसावे और मिलीभगत और साजिश के तहत की गई थी, जो मानवता के खिलाफ अपराध है।
पांचवां आरोप- अभियुक्तों पर पिछले साल 5 अगस्त को अशुलिया में छह छात्र प्रदर्शनकारियों की गोली मारकर हत्या करने का आरोप था, जिनमें से पांच को बाद में जला दिया गया था, जबकि छठे को कथित तौर पर जीवित रहते हुए आग लगा दी गई थी।
शेख हसीना के लिए आगे की राह मुश्किल :
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के गृह सलाहकार जहांगीर आलम चौधरी ने कल बारिशाल में मीडिया से बातचीत में बताया कि सरकार न्यायाधिकरण के फैसले पर बिना किसी देरी के अमल करेगी। यह पूछे जाने पर कि क्या दोषी पाए जाने पर दोषी अपील दायर कर सकते हैं? द डेली स्टार की रिपोर्ट के अनुसार, अभियोजक तमीम ने कहा कि एक भगोड़ा, फरार रहते हुए अपील करने के अधिकारी नहीं है। उन्होंने कहा कि कानून के अनुसार, सर्वोच्च न्यायालय में अपील दायर करने के लिए दोषी को या तो गिरफ्तार होना होगा या आत्मसमर्पण करना होगा। उन्होंने कहा कि ‘अपील फैसले के 30 दिनों के भीतर दायर की जानी चाहिए, और कानून के अनुसार अपीलीय प्रभाग को अपील दायर होने के 60 दिनों के भीतर उसका निपटारा करना होगा।’ शेख हसीना फिलहाल भारत में हैं। बांग्लादेश सरकार के रुख को देखते हुए शेख हसीना की आगे की राह बेहद मुश्किल नजर आ रही है।

