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महमूद मदनी पर भाजपा का पलटवार: पात्रा बोले- बयान भड़काऊ ही नहीं, बांटने वाला; सुप्रीम कोर्ट ले स्वत: संज्ञान

थर्ड आई न्यूज

भुवनेश्वर I जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के बयान पर भाजपा की तरफ से पलटवार किया गया है। संबित पात्रा ने कहा कि उनकी तरफ से भोपाल में दिया गया बयान भड़काऊ और देश को बांटने वाला है। जिहाद के नाम पर जिस प्रकार से लोगों ने भारत में ही नहीं, बल्कि भारत के बाहर भी आतंक फैलाया है, वह हमने देखा है। उन्होंने आगे कहा कि मौलाना मदनी ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट को सुप्रीम कहलाने का कोई अधिकार नहीं है। मौलाना मदनी के इस बयान को सुप्रीम कोर्ट को स्वतः संज्ञान में लेकर इसकी सुनवाई करनी चाहिए।

‘भारत में जिहाद को सही ठहराना अस्वीकार्य’ :
संबित पात्रा ने कहा कि मौलाना मदनी ने अपने भाषण में जिहाद शब्द का इस्तेमाल करते हुए कहा कि जहां भी अत्याचार हो, वहां जिहाद होना चाहिए। उन्होंने इस पर कड़ा विरोध जताते हुए कहा, ‘ऐसे शब्द देश को बांटने का काम करते हैं। जिहाद के नाम पर दुनिया के कई हिस्सों में आतंकवाद फैला है। भारत में इसे सही ठहराना अस्वीकार्य है। उन्होंने आगे कहा कि भारत में जिहाद का आह्वान करना देश की एकता पर हमला है और इस बयान की जांच होनी चाहिए।

सुप्रीम कोर्ट पर टिप्पणी को लेकर भी नाराजगी :
संबित पात्रा ने दावा किया कि मौलाना मदनी ने सुप्रीम कोर्ट की भी आलोचना की और कहा कि कोर्ट सरकार के दबाव में काम करता है। इस पर उन्होंने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट इस देश की सर्वोच्च संस्था है। उसके बारे में ऐसी टिप्पणी सिर्फ संस्था को कमजोर करने की कोशिश है। मैं चाहता हूं कि सुप्रीम कोर्ट इस बयान पर स्वत: संज्ञान ले।’

अखिलेश यादव और विपक्ष पर भी हमला :
संबित पात्रा ने कहा कि विपक्ष और कुछ नेता लगातार ऐसे बयान दे रहे हैं जो लोगों में भ्रम और नफरत फैलाने वाले हैं। उन्होंने कहा, ‘आज सुबह से देश में दो तरह की खबरें आई हैं, एक तरफ विकास, जिसमें देश की Q2 जीडीपी का ऐतिहासिक आंकड़ा शामिल है। दूसरी तरफ कुछ नेता ऐसे बयान दे रहे हैं जो समाज में भड़काऊ माहौल बना रहे हैं।’

समाज में नफरत फैलाने की कोशिश- संबित पात्रा
संबित पात्रा ने आगे कहा कि सरकार और भाजपा किसी भी तरह की नफरत, हिंसा और देश विरोधी बयानबाजी को बर्दाश्त नहीं करेगी। उन्होंने कहा, ‘भारत विकास के रास्ते पर आगे बढ़ रहा है। ऐसे में समाज में नफरत फैलाने की कोशिश पूरी तरह अस्वीकार्य है।’

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