Parliament Winter Session 2025: संसद में वंदे मातरम पर होगी 10 घंटे तक चर्चा, पीएम मोदी होंगे शामिल
थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली l संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो चुका है। इसबीच भारत के राष्ट्रगीत वंदे मातरम के 150 साल पूरे होने पर एक विशेष चर्चा का आयोजन किया जाएगा। लोकसभा में इस पर चर्चा के लिए 10 घंटे का समय तय किया गया है। इस चर्चा में देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी हिस्सा लेंगे। लोकसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी की बैठक में सरकार ने वंदे मातरम को प्राथमिकता दी, जबकि कांग्रेस ने एसआईआर और चुनावी सुधारों पर बहस की मांग की। टीएमसी ने वंदे मातरम पर लोकसभा में विशेष चर्चा का समर्थन किया है।
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू द्वारा 30 नवंबर को बुलाई गई ऑल-पार्टी मीटिंग और लोकसभा और राज्यसभा की बिजनेस एडवाइजरी कमेटी (BAC) की बैठक में इस प्रस्ताव पर सहमति बनी। राज्यसभा में भी सत्ताधारी दलों के सदस्यों ने इसकी जोरदार वकालत की। सरकार ने इसे राष्ट्रीय एकता का प्रतीक बताते हुए सभी दलों को इसमें हिस्सा लेने का न्योता दिया है। गणतंत्र दिवस समारोह से पहले मोदी सरकार ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मनाने के लिए एक राष्ट्रव्यापी प्रतियोगिता शुरू की है। इसमें नागरिक अपनी रचनात्मकता और देशभक्ति की भावना दिखाते हुए राष्ट्रीय गीत को अपने अनूठे अंदाज में पेश कर सकते हैं।
विपक्ष ने किया विरोध :
विपक्षी पार्टियों ने ‘वंदे मातरम’ पर डिबेट करने की टाइमिंग पर सवाल उठाया। विपक्ष ने सरकार पर चुनावी सुधारों और SIR मुद्दे से ध्यान भटकाने के लिए इसका इस्तेमाल करने का आरोप लगाया। BJP ने कहा है कि विपक्ष को ‘वंदे मातरम’ के 150 साल के मील के पत्थर के महत्व को मानना चाहिए और चर्चा का स्वागत करना चाहिए। इस महीने की शुरुआत में संस्कृति मंत्रालय की तरफ से आयोजित एक कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक साल तक चलने वाले समारोहों की शुरुआत की थी। प्रधानमंत्री मोदी ने सोमवार को विपक्ष पर कड़ा हमला बोलते हुए कहा कि संसद ‘ड्रामा’ करने की जगह नहीं है। यह काम करने की जगह है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि विपक्ष संसद को चुनावी हार के बाद हताशा निकालने का मंच बना रहा है।
वंदे मातरम 1950 में बना राष्ट्रीय गीत :
वंदे मातरम’ को 1950 में भारत गणराज्य के राष्ट्रीय गीत के रूप में अपनाया गया था। इसे 1870 के दशक में बंकिम चंद्र चटर्जी द्वारा संस्कृतनिष्ठ बंगाली में लिखा गया था। यह गीत बंकिम चंद्र चटर्जी के बंगाली उपन्यास आनंदमठ का ही हिस्सा है, जिसे पहली बार 1882 में प्रकाशित किया गया था। यह गीत भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का प्रमुख प्रेरणा स्रोत बना। इस गीत की रचना के 150 साल पूरे होने पर केंद्र सरकार ने विशेष स्मारक सिक्का और डाक टिकट भी जारी किया था। पीएम मोदी ने हाल ही में ‘वंदे मातरम’ को स्वतंत्रता संग्राम की अमर धरोहर बताते हुए युवाओं से इसका गान करने की अपील की थी।

