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Maulana Madani: ‘वो फसादी, हम जिहादी…’, मौलाना मदनी ने किसे लेकर दिया यह बयान, वंदे मातरम पर भी बोले

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली। मौलाना महमूद मदनी ने एक साक्षात्कार में जिहाद के असली अर्थ स्पष्ट करने का दावा किया है। उन्होंने कहा, ‘इस शब्द के वास्तविक अर्थ को लेकर कुछ भ्रम पैदा किया गया है। जिहाद के कई अर्थ हैं। सबसे बड़ा जिहाद अपने लक्ष्य के बारे में स्पष्ट दृष्टिकोण रखना और खुद का व्यक्तित्व बेहतर बनाने की दिशा में काम करना है। जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष मौलाना मदनी ने समाचार एजेंसी एएनआई के साथ एक साक्षात्कार में कई विषयों पर विस्तार से बातें कीं। उन्होंने कहा, ‘अगर अन्याय हो रहा है, तो उसके खिलाफ आवाज उठाना भी जिहाद है। वंदे मातरम को लेकर अपनी टिप्पणियों के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा कि अभी जबरदस्ती करवाई जा रही है। जगह-जगह कहा जा रहा है कि इसे बोलें ही बोलें। …ये तो आइडिया ऑफ इंडिया नहीं है।

जमीयत ने वंदे मातरम को लेकर क्या कहा?
भारत के राष्ट्रीय गीत वंदे मातरम से जुड़े एक सवाल पर जमीयत प्रमुख मदनी ने कहा, ‘हमारे संगठन ने 2011 और उससे पहले भी काफी बहस की थी। अब वे (सरकार) कह रही है कि वंदे मातरम अनिवार्य होगा। उन्होंने कहा कि इसे जबरन लागू करना भारत का विचार नहीं है। अगर जरूरी हुआ तो हम इस फैसले और विचार को अदालत में चुनौती भी देंगे। उन्होंने चुनौती देने की रणनीति को लेकर कहा, ‘सबसे पहले हम इस विषय पर सभी लोगों से बात करेंगे और नागरिक समाज को एक साथ लाने की कोशिश करेंगे।’

आतंकवादियों ने इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से इस्तेमाल किया :
संगठन और अपनी भूमिका को लेकर मदनी ने एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘जब से मैंने इस संगठन में एक सचिव के रूप में प्रवेश किया है, मैंने इसे अपने जीवन का मिशन बना लिया है कि आतंकवादियों ने जिन इस्लामिक शब्दों को गलत तरीके से समझाया है, उसे ठीक करके सबके सामने लाऊं।’ उन्होंने कहा, ‘हम जिहाद का मतलब आतंकवादियों से लड़ना समझते हैं। मैंने हमेशा कहा है कि वे ‘फसादी’ हैं, और हम ‘जिहादी’ हैं।

मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्द गढ़े जा रहे हैं :
उन्होंने सत्ताधारी खेमे पर भी गंभीर आरोप लगाए। मदनी ने कहा, चाहे केंद्र हो या राज्य सरकार के मंत्रालय, सबने फैसला किया है कि अगर मुसलमानों से जुड़ी कोई भी नकारात्मक बात सामने आती है, तो उसे जिहाद कहा जाएगा। हालांकि, सच्चाई ये है कि जिहाद एक पवित्र शब्द है। हम जिहाद के असली अर्थ के लिए लड़ रहे हैं… लव जिहाद, जमीन जिहाद, ‘थूक जिहाद’ और वोट जिहाद मुसलमानों को गाली देने के लिए नए शब्दों के रूप में गढ़े गए हैं।

जिहाद के असली अर्थ…
उन्होंने कहा कि जिहाद शब्द को इस्लाम से जोड़कर बहुत ही योजनाबद्ध तरीके से गालियां दी जाती थी। यह सिलसिला लंबे समय तक जारी रहा। बकौल मदनी, ‘अब सरकारी स्तर पर मुसलमानों को गाली दी जा रही है। यह मान लिया गया है कि सभी मुसलमान ‘जिहादी’ और ‘फसादी’ हैं। ऐसे में यह मेरी जिम्मेदारी बन गई है कि मैं जिहाद के असली अर्थ समझाऊं।’

मदनी ने PM, गृह मंत्री शाह और मुख्यमंत्रियों के बारे में क्या कहा?
एक और सवाल के जवाब में मदनी ने कहा, ‘हम परेशान हैं, और ऐसा अचानक नहीं हुआ है। हमें प्रधानमंत्री मोदी, गृह मंत्री और मुख्यमंत्रियों से उम्मीदें हैं। मैं समझता हूं कि ये लोग सियासत के लिए फूट डालते हैं। मैं यह नहीं कह रहा कि हर कोई हमारे खिलाफ है, लेकिन सभी लोगों को बैठकर मुस्लिम समुदाय की चिंताओं का समाधान करना चाहिए। इस्तेमाल की जा रही शब्दावली बदलनी चाहिए… हम इस मुद्दे पर सरकार से भी संपर्क करेंगे। कई बार अलग-अलग मुद्दों पर हमने सरकारी प्रतिनिधियों से भी संपर्क किया है।

पाकिस्तान और परवेज मुशर्रफ से जुड़ी घटना का जिक्र :
मदनी ने पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ से जुड़ी एक घटना का जिक्र करते हुए कहा, उस समय 90% मौन बहुमत था; अब यह घटकर 60 फीसदी हो गया है। जमीयत प्रमुख ने सुप्रीम कोर्ट से जुड़े एक अन्य सवाल के जवाब में कहा, ‘आप मुझ पर यह कहने का आरोप लगा रहे हैं कि सुप्रीम कोर्ट गलत है… मैं केवल कोई व्यक्ति नहीं हूं; मैं एक ऐसे संगठन से जुड़ा हूं जो एक खास समुदाय से जुड़ा है। अगर मैं अपने समुदाय की भावनाओं को देश को नहीं बताऊंगा, तो ऐसा करना नाइंसाफी होगी।

देश के हालात को देखते हुए चेतावनी…
उन्होंने कहा, ‘संविधान की अवधारणा बहुसंख्यकवाद के खिलाफ है। हालांकि, एक ऐसी जगह है, जहां हमें लगता है कि हमारी असुरक्षा की भावना को समझने के लिए आपका मुसलमान होना जरूरी है। बदले हुए परिदृश्यों की तरफ संकेत करते हुए जमीयत प्रमुख मदनी ने कहा, आज हमें एक ऐसी जगह पर खड़ा कर दिया गया है जहां हमें लगता है कि हमें हाशिये पर धकेला जा रहा है। मैं इस बात का सम्मान करता हूं कि आप मुझसे असहमत हो सकते हैं, लेकिन अगर मैं कुछ कहना चाहूं, तो नहीं कह सकता। देश के हालात को देखते हुए मैं चेतावनी देना चाहता हूं।

हमारी चिंताओं को विश्वासघात मानना ठीक नहीं :
जमीयत प्रमुख मदनी के मुताबिक अगर स्थिति वास्तव में चिंताजनक नहीं है, तो हमारे समुदाय को ये बात समझने की जरूरत है, अगर परिस्थियां सामान्य नहीं हैं तो आपको (सरकार) को समझने की जरूरत है। उन्होंने कहा, बीते कई दिनों से हम अपनी चिंताओं के बारे में अपने समुदाय के साथ-साथ पूरे देश के सामने रखने की कोशिश कर रहे हैं। अगर हमारी चिंताओं को विश्वासघात के रूप में साबित किया जाएगा, तो यह बहुत गलत होगा। हम 60 फीसदी मौन को संबोधित करना और स्वीकार करना चाहते हैं। बहुमत हमारे साथ है।

आतंकवाद को लेकर क्या बोले मौलाना मदनी :
उन्होंने जिहाद को लेकर अपने पुराने बयान और उसके कारण उपजे विवाद को लेकर कहा, ‘मैंने जो कुछ भी कहा है उसका आतंकवाद और हिंसा से कोई लेना-देना नहीं है। हम राष्ट्रीय विकास और राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों पर एकजुट हैं। जब हम इन मुद्दों पर सहमत होते हैं, तो उनके लिए लड़ना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। मदनी ने सवाल किया, अगर कोई आतंकवादी इसे जिहाद कहता है, तो क्या हमें सहमत होना चाहिए कि यह जिहाद है और आतंकवादी को फायदा पहुंचाना चाहिए? या हमें उससे असहमत होना चाहिए और उसकी मान्यताओं पर चोट करनी चाहिए?’

पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने बेनकाब करने का प्रयास :
मदनी ने सवाल किया, क्या हम वही इस्तेमाल करेंगे जो पाकिस्तान करता है, या हम पाकिस्तान को पूरी दुनिया के सामने बेनकाब करेंगे? जमीयत प्रमुख ने कहा, ‘लोग समझने को तैयार नहीं हैं। हम पिछले 30 वर्षों से इसे समझाने की कोशिश कर रहे हैं, कि पाकिस्तानियों के जाल में न फंसें जो गलत धारणाएं फैला रहे हैं। वे खुद को मजबूत कर रहे हैं और हमें कमजोर कर रहे हैं… मेरा मकसद केवल जिहाद की सही परिभाषा बतानी थी।

इंटरव्यू से पहले मदनी की किस बात पर उपजा विवाद :
गौरतलब है कि बीते दिनों मौलाना मदनी की वह टिप्पणी चर्चा में रही जिसमें उन्होंने जुल्म खत्म न होने तक जिहाद जारी रहने की बात कही थी। इस्लामी विद्वान मौलाना महमूद मदनी ने कहा कि देश की वर्तमान स्थिति अत्यंत संवेदनशील और चिंताजनक है। दुःख की बात है कि एक विशेष समुदाय को जबरन निशाना बनाया जा रहा है, जबकि अन्य समुदायों को कानूनी रूप से शक्तिहीन, सामाजिक रूप से अलग-थलग और आर्थिक रूप से अपमानित किया जा रहा है। मदनी ने कहा कि इस्लाम और मुसलमानों के दुश्मनों ने जिहाद जैसी इस्लाम की पवित्र अवधारणा को दुर्व्यवहार, अव्यवस्था और हिंसा से जुड़े शब्दों में बदल दिया है। ‘लव जिहाद’, ‘भूमि जिहाद’, ‘शिक्षा जिहाद’ जैसे शब्दों का इस्तेमाल करके मुसलमानों को गहरी ठेस पहुंचाई गई है। इससे धर्म का अपमान होता है।

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