असम में राजधानी एक्सप्रेस की चपेट में आया हाथियों का झुंड, 7 हाथियों की दर्दनाक मौत से मचा जन आक्रोश
थर्ड आई न्यूज
होजाई से रमेश मुन्दड़ा
असम के होजाई जिले में आज तड़के एक हृदयविदारक हादसे ने पूरे क्षेत्र को झकझोर कर रख दिया। जमुनामुख–कामपुर रेलखंड पर सुबह करीब 2:17 बजे, एन.एफ. रेलवे के लामडिंग डिवीजन के अंतर्गत चल रही राजधानी एक्सप्रेस (ट्रेन संख्या 20507 DN, सैरांग–नई दिल्ली) हाथियों के एक झुंड से टकरा गई।
टक्कर इतनी भीषण थी कि ट्रेन का लोकोमोटिव सहित पांच डिब्बे पटरी से उतर गए। हालांकि रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि इस दुर्घटना में किसी भी यात्री के हताहत होने की सूचना नहीं है, लेकिन वन्यजीवों को हुआ नुकसान अत्यंत पीड़ादायक है। घटनास्थल पर सात हाथियों के शव पाए गए, जिनमें शावक भी शामिल थे, जिसने इस त्रासदी को और भी मार्मिक बना दिया।
रेलवे की ओर से तत्काल दुर्घटना राहत ट्रेन और तकनीकी टीमें मौके पर भेजी गईं, जबकि ट्रैक बहाली का कार्य युद्धस्तर पर शुरू किया गया। वहीं, इस घटना को लेकर वन विभाग की भूमिका पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। स्थानीय लोगों और वन्यजीव प्रेमियों का आरोप है कि यह क्षेत्र हाथियों का नियमित कॉरिडोर है, इसके बावजूद समय रहते न तो रेलवे को स्पष्ट चेतावनी दी गई और न ही रात के समय ट्रेनों की गति सीमित करने के ठोस प्रयास किए गए।
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि वन विभाग और रेलवे के बीच बेहतर समन्वय होता, तो इस दर्दनाक हादसे को टाला जा सकता था। यह घटना केवल एक दुर्घटना नहीं, बल्कि वन्यजीव संरक्षण व्यवस्था पर एक गंभीर चेतावनी है।
असम के जंगल हाथियों जैसे विशाल और संवेदनशील जीवों का प्राकृतिक आश्रय हैं। विकास और यातायात के बीच संतुलन बनाए बिना इस प्रकार की घटनाएं भविष्य में और बढ़ सकती हैं। सात हाथियों की मौत ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जंगलों के असली निवासियों की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार विभाग अपनी भूमिका कितनी गंभीरता से निभा रहे हैं।
अब आवश्यकता है कि इस घटना से सबक लेते हुए हाथी कॉरिडोरों की स्पष्ट पहचान, ट्रेन गति नियंत्रण, रात्री निगरानी प्रणाली और रेलवे–वन विभाग के बीच त्वरित समन्वय को अनिवार्य किया जाए, ताकि भविष्य में जंगल के इन बेजुबान राजाओं को ऐसी निर्मम मौत का सामना न करना पड़े।

