भगवान शिव के नाम पर 2 मुल्कों में छिड़ी ऐसी जंग, मिसाइल लेकर चीन और अमेरिका हो गए तैयार

थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I रूस और यूक्रेन के बीज की जंग सालों से चल रही है। वहीं हाल ही में ईरान और इजरायल के बीच बैटल का नया ग्राउंड देखने को मिला था, जिसमें अमेरिका ने भी अपने बी2बॉम्बर्स के साथ एंट्री कर ली थी। लेकिन इस युद्ध का तो विराम हो गया। फिर भी इजरायल एक और मोर्चे में फिलिस्तीन के साथ जंग में उलझा है। वहीं डोनाल्ड ट्रंप शांति का राग अलाप रहे हैं। लेकिन विश्व में एक और युद्ध का मोर्चा खुल गया है। भारत के पड़ोस में एक हजार साल पुराने हिंदू मंदिर को लेकर दो देशों के बीच एक भीषण युद्ध शुरू हुआ है। ये देश थाइलैंड और कंबोडिया हैं। बीते दिनों से दोनों देशों के सैनिक एक दूसरे पर हमले कर रहे हैं। आज हम थाइलैंड और कंबोडिया के बीच 118 वर्ष पुराने सीमा विवाद में एक हिंदू मंदिर के महत्व का एमआरआई स्कैन करेंगे। सबसे पहले आपको छोड़ा अपडेट दे देते हैं। थाईलैंड की सेना के मुताबिक कंबोडिया के सैनिकों ने उन पर फायरिंग की और यही आरोप कंबोडिया की तरफ से भी लगाए जा रहे हैं। यानी युद्ध की शुरुआत किसने की इसका पता नहीं चला है। लेकिन थाइलैंड कहता है कि कंबोडिया ने सेना और आम लोगों के साथ एक अस्पताल पर भी रॉकेट से हमला किया। फिर थाईलैंड ने एफ 16 विमान से लक्षित टारगेट को अटैक किया।
दोनों देश अपने हजारों लोगों को सीमा से हटाकर सुरक्षित स्थानों पर ले जा रहे हैं। थाईलैंड और कंबोडिया भारत के केंद्र शासित प्रदेश अंडमान निकोबार द्वीप समूह के पास है। सैन्य ताकत के मामले में कंबोडिया की रैंकिग पूरी दुनिया में 95 है तो वहीं थाइलैंड की सेना का स्थान 25वां है। यानी थाईलैंड की सेना कंबोडिया से बहुत ताकतवर मानी जाती है। दोनों देशों की रैकिंग से पता चलता है। थाईलैंड और कंबोडिया के बीच 118 वर्ष से एक मंदिर को लेकर विवाद चल रहा है।
मंदिर को लेकर लड़ाई और चली गोलियां :
भारत से हजारों किलोमीटर दूर स्थित प्रिय विहार के शिव मंदिर को दोनों देश अपने-अपने देश का हिस्सा बताते है। मंदिर को लेकर थाईलैंड और कंबोडिया के बीच काफी विवाद हो चुका है और ये विवाद अभी भी जारी है। व मंदिर को लेकर हाल ही में दोनों देशों के बीच फायरिंग भी हो चुकी है। दरअसल फरवरी माह में कंबोडिया की एक सैन्य टुकड़ी ने मंदिर में पहुंचकर अपना राष्ट्रगान गाया था। जहां थाईलैंड की सेना ने इसको विरोध किया। धीरे-धीरे हालात इतने गंभीर हो गए कि 28 मई को दोनों देश के बीच फायरिंग शुरु हो गई। चोंग बुक की पहाड़ियों पर विवाद के चलते आज तक दोनों देशों की सीमाएं यहां स्पष्ट नहीं हैं।
कैसे शुरू हुआ ताजा संघर्ष :
थाईलैंड और कंबोडिया सीमा विवाद अचानक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जब 23 जुलाई को सीमा पर तैनात एक थाई सैनिक विस्फोट में घायल हो गया। यह विस्फोट वहां हुआ, जहां दोनों देशों की सेनाएं मई से आमने-सामने तैनात थीं। थाईलैंड ने इसका आरोप कंबोडिया पर लगाया और इसे पूर्व नियोजित उकसावा करार दिया। गुरुवार को थाई अधिकारियों ने दावा किया कि कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के 4 सीमावर्ती प्रांतों (सुरिन, सिसाकेत, बुरीराम और उदोन थानी) में रॉकेट दागे। इस हमले में 11 थाई नागरिक और एक सैनिक की मौत हो गई। जवाब में थाई वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर हमले किए। थाईलैंड के गांवों से आए वीडियो में दिखा कि नागरिक अपने घरों को छोड़कर बंकरों में शरण ले रहे हैं। हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए। थाईलैंड ने कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया और सभी बॉर्डर चेकपॉइंट बंद कर दिए। कंबोडिया ने भी बैंकॉक स्थित अपने दूतावास को खाली कर दिया। इस पूरे विवाद की वजह डंगरेक पहाड़ियों में स्थित 900 साल पुराना शिव मंदिर (प्रासात ता मुएन थोम) है। दोनों देश इस पर अपना हक जताते हैं। मंदिर भले थाईलैंड के वर्तमान नक्शे में आता हो, लेकिन कंबोडिया इसे अपनी धरोहर मानता है।
थाईलैंड-कंबोडिया ने एक-दूसरे पर पहले गोलीबारी का आरोप लगाया :
कंबोडिया के पीएन हुन मानेत ने संघर्ष की पूरी जिम्मेदारी थाई सेना पर डालते हुए कहा कि थाई सैनिकों ने मंदिर को बंद करवाया और पहले गोली चलाई। कंबोडिया को अपनी भूमि की रक्षा के लिए मजबूरन जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। राजनीतिक संकट के चलते निलंबित थाई पीएम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कंबोडियाई सेना ने ही सबसे पहले गोलियां चलाईं, जिससे नागरिकों की जान गई।
फ्रांस की वजह से शुरू हुआ था सीमा विवाद:
थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाओं के संगम को एमराल्ड ट्रायंगल कहते हैं। 1904 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रशासन ने ‘फ्रेंको-सियामी संधि’ के तहत बॉर्डर मार्किंग के लिए डांगरेक पर्वत को आधार बनाया। 1907 में जब फ्रांसीसी सर्वेक्षकों ने नक्शा तैयार किया, तो उन्होंने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया में दिखाया। थाईलैंड ने कई मंदिरों को लेकर आपत्ति जताई और यहीं से सीमा विवाद शुरू हुआ।
यूएन और आईसीजे ने मामला शांत कराया :
1959 में कंबोडिया ने मामला आईसीजे में पहुंचाया था। 1962 में कोर्ट ने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने फैसला स्वीकारा, पर मंदिर के आसपास की सीमाओं पर विवाद बरकरार रहा। 2011 में आईसीजे ने फिर अपने पूर्व निर्णय को दोहराया।
यूनेस्को से विवाद क्यों भड़का :
2008 में कंबोडिया ने प्रीह विहार (शिव मंदिर) मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित करवाया, तो थाईलैंड ने इसका विरोध किया। इसके बाद सीमा पर सैन्य तनाव बढ़ा।
2011 में एक हफ्ते चली थी जंग:
2011 में इस विवाद ने घातक रूप ले लिया। सप्ताह भर की लड़ाई में कम से कम 15 लोग मारे गए और 36,000 से ज्यादा नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा। मई 2025 से आमने-सामने थी सेनाएं 28 मई 2025 को झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत से तनाव। थाईलैंड की पीएम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने संबंध सुधारने के लिए 15 जून को थाई पीएम ने हुन सेन से बात की। लेकिन, 18 जून को ये निजी कॉल लीक हो गई और थाई पीएम के खिलाफ देशभर में आक्रोश फैल गया। थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने 1 जुलाई को पैटोंगटार्न को निलंबित किया। अब 23 जुलाई को थाई सैनिक का लैंड माइंड से पैर उड़ा, जवाब में सैन्य कार्रवाई।
चीन और अमेरिका का प्रॉक्सी वॉर :
थाइलैंड और अमेरिका पर अमेरिका और चीन का भी सपोर्ट है। भले ही लड़ रहे की और थाईलैंड हो लेकिन ये चीन और अमेरिका के बीच का प्रॉक्सी वार है। थाइलैंड 532 बिलियन कीहै। कंबोडिया की इकोनॉमी 30 बिलियन की है। कंबोडिया थाईलैंड के मुकाबलेकैसे शुरू हुआ ताजा संघर्ष
थाईलैंड और कंबोडिया सीमा विवाद अचानक खतरनाक मोड़ पर पहुंच गया, जब 23 जुलाई को सीमा पर तैनात एक थाई सैनिक विस्फोट में घायल हो गया। यह विस्फोट वहां हुआ, जहां दोनों देशों की सेनाएं मई से आमने-सामने तैनात थीं। थाईलैंड ने इसका आरोप कंबोडिया पर लगाया और इसे पूर्व नियोजित उकसावा करार दिया। गुरुवार को थाई अधिकारियों ने दावा किया कि कंबोडियाई सेना ने थाईलैंड के 4 सीमावर्ती प्रांतों (सुरिन, सिसाकेत, बुरीराम और उदोन थानी) में रॉकेट दागे। इस हमले में 11 थाई नागरिक और एक सैनिक की मौत हो गई। जवाब में थाई वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमानों ने कंबोडिया पर हमले किए। थाईलैंड के गांवों से आए वीडियो में दिखा कि नागरिक अपने घरों को छोड़कर बंकरों में शरण ले रहे हैं। हमले के बाद दोनों देशों के बीच संबंध बेहद खराब हो गए। थाईलैंड ने कंबोडियाई राजदूत को निष्कासित कर दिया और सभी बॉर्डर चेकपॉइंट बंद कर दिए। कंबोडिया ने भी बैंकॉक स्थित अपने दूतावास को खाली कर दिया। इस पूरे विवाद की वजह डंगरेक पहाड़ियों में स्थित 900 साल पुराना शिव मंदिर (प्रासात ता मुएन थोम) है। दोनों देश इस पर अपना हक जताते हैं। मंदिर भले थाईलैंड के वर्तमान नक्शे में आता हो, लेकिन कंबोडिया इसे अपनी धरोहर मानता है।
थाईलैंड-कंबोडिया ने एक-दूसरे पर पहले गोलीबारी का आरोप लगाया :
कंबोडिया के पीएन हुन मानेत ने संघर्ष की पूरी जिम्मेदारी थाई सेना पर डालते हुए कहा कि थाई सैनिकों ने मंदिर को बंद करवाया और पहले गोली चलाई। कंबोडिया को अपनी भूमि की रक्षा के लिए मजबूरन जवाबी कार्रवाई करनी पड़ी। राजनीतिक संकट के चलते निलंबित थाई पीएम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने सोशल मीडिया पर लिखा कि कंबोडियाई सेना ने ही सबसे पहले गोलियां चलाईं, जिससे नागरिकों की जान गई।
फ्रांस की वजह से शुरू हुआ था सीमा विवाद :
थाईलैंड, कंबोडिया और लाओस की सीमाओं के संगम को एमराल्ड ट्रायंगल कहते हैं। 1904 में फ्रांसीसी औपनिवेशिक प्रशासन ने ‘फ्रेंको-सियामी संधि’ के तहत बॉर्डर मार्किंग के लिए डांगरेक पर्वत को आधार बनाया। 1907 में जब फ्रांसीसी सर्वेक्षकों ने नक्शा तैयार किया, तो उन्होंने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया में दिखाया। थाईलैंड ने कई मंदिरों को लेकर आपत्ति जताई और यहीं से सीमा विवाद शुरू हुआ।
यूएन और आईसीजे ने मामला शांत कराया :
1959 में कंबोडिया ने मामला आईसीजे में पहुंचाया था। 1962 में कोर्ट ने प्रीह विहार मंदिर को कंबोडिया का हिस्सा माना। थाईलैंड ने फैसला स्वीकारा, पर मंदिर के आसपास की सीमाओं पर विवाद बरकरार रहा। 2011 में आईसीजे ने फिर अपने पूर्व निर्णय को दोहराया।
यूनेस्को से विवाद क्यों भड़का
2008 में कंबोडिया ने प्रीह विहार (शिव मंदिर) मंदिर को यूनेस्को विश्व धरोहर घोषित करवाया, तो थाईलैंड ने इसका विरोध किया। इसके बाद सीमा पर सैन्य तनाव बढ़ा।
2011 में एक हफ्ते चली थी जंग v
2011 में इस विवाद ने घातक रूप ले लिया। सप्ताह भर की लड़ाई में कम से कम 15 लोग मारे गए और 36,000 से ज्यादा नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा। मई 2025 से आमने-सामने थी सेनाएं 28 मई 2025 को झड़प में कंबोडियाई सैनिक की मौत से तनाव। थाईलैंड की पीएम पैटोंगटार्न शिनवात्रा ने संबंध सुधारने के लिए 15 जून को थाई पीएम ने हुन सेन से बात की। लेकिन, 18 जून को ये निजी कॉल लीक हो गई और थाई पीएम के खिलाफ देशभर में आक्रोश फैल गया।से थाईलैंड की संवैधानिक अदालत ने 1 जुलाई को पैटोंगटार्न को निलंबित किया। अब 23 जुलाई को थाई सैनिक का लैंड माइंड से पैर उड़ा, जवाब में सैन्य कार्रवाई।
चीन और अमेरिका का प्रॉक्सी वॉर :
थाइलैंड और अमेरिका पर अमेरिका और चीन का भी सपोर्ट है। भले ही लड़ रहे कंबोडिया और थाईलैंड हो लेकिन ये चीन और अमेरिका के बीच का प्रॉक्सी वार है। थाइलैंड 532 बिलियन कीहै। कंबोडिया की इकोनॉमी 30 बिलियन की है। कंबोडिया थाईलैंड के मुकाबले काफी कमजोर है। कंबोडिया ने अपनी कमजोरी को मजबूती देने के लिए चीन का साथ लिया। वहीं पाकिस्तान ने कंबोडिया के सैनिकों को फाइट करने की ट्रेनिंग भी दी। थाईलैंड को अमेरिका बैक कर रहा है। अमेरिका के अप्रूवल के बाद ही थाईलैंड ने कंबोडिया पर अटैक करना शुरू किया है। थाईलैंड काफी बड़े हमले भी कर सकता है। थाईलैंड के लिए अमेरिका अपने सैनिक भी भेज सकता है। जिसका भी इस रिजन पर कंट्रोल होगा आयिसान देश उसके प्रभाव में आ जाएंगे। काफी कमजोर है। कंबोडिया ने अपनी कमजोरी को मजबूती देने के लिए चीन का साथ लिया। वहीं पाकिस्तान ने कंबोडिया के सैनिकों को फाइट करने की ट्रेनिंग भी दी। थाईलैंड को अमेरिका बैक कर रहा है। अमेरिका के अप्रूवल के बाद ही थाईलैंड ने कंबोडिया पर अटैक करना शुरू किया है। थाईलैंड काफी बड़े हमले भी कर सकता है। थाईलैंड के लिए अमेरिका अपने सैनिक भी भेज सकता है। जिसका भी इस रिजन पर कंट्रोल होगा आयिसान देश उसके प्रभाव में आ जाएंगे।