एयरपोर्ट भूमि अधिग्रहण पर गरमाई सियासत, अखिल गोगोई ने मुख्यमंत्री पर लगाए गंभीर आरोप

थर्ड आई न्यूज
गुवाहाटी, 2 अगस्त। गुवाहाटी के लोकप्रिय गोपीनाथ बोरदोलोई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास राज्य सरकार द्वारा की जा रही भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई को लेकर असम में विरोध लगातार तेज़ हो रहा है। इसी क्रम में रायजोर दल के प्रमुख और शिवसागर विधायक अखिल गोगोई ने मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा पर तीखा हमला बोलते हुए आरोप लगाया है कि वे इस अधिग्रहण की वास्तविक मंशा को लेकर जनता को भ्रामक और विरोधाभासी बयान दे रहे हैं।
शनिवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में गोगोई ने कहा,
“यह अधिग्रहण असम को अडानी से बचाने के लिए नहीं है, बल्कि असम को अडानी को उपहार देने की तैयारी है।”
उन्होंने बताया कि कामरूप (मेट्रो) ज़िले के गराल (70 बीघा), मिर्ज़ापुर (257 बीघा), और आज़रा (83 बीघा) – इन तीन गांवों की कुल 400 बीघा से अधिक जमीन का अधिग्रहण किया जा रहा है, जबकि सरकार इसे भविष्य के विकास कार्यों के लिए बता रही है।
मुख्यमंत्री शर्मा ने कुछ दिन पहले स्पष्ट किया था कि यह जमीन भविष्य में अडानी जैसे निजी कॉरपोरेट घरानों द्वारा खरीदे जाने से रोकने के लिए अधिग्रहित की जा रही है और इस पर स्टेडियम, आधुनिक सम्मेलन केंद्र और एंटरटेनमेंट हब जैसे राज्य सरकार द्वारा संचालित परियोजनाएं प्रस्तावित हैं। उन्होंने किसी तरह की बेदखली से इनकार किया था।
लेकिन गोगोई ने इन दावों को “धोखे की परत” करार देते हुए कहा,
“असम की जनता को अडानी से नहीं, मुख्यमंत्री से बचाने की ज़रूरत है। एयरपोर्ट के आसपास रहने वाले सभी लोग स्वदेशी निवासी हैं। अब इन्हीं लोगों को झूठ बोलकर अपनी ही ज़मीन से बाहर निकाला जा रहा है।”
उन्होंने आगे कहा,
“यह ज़मीन खरीदने की ज़रूरत ही नहीं है। सरकार चाहे जितना पैसा दे, एयरपोर्ट के पास रहने वाले लोग अडानी को ज़मीन नहीं बेचेंगे। मुख्यमंत्री को इसकी चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं।”
गोगोई ने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री के तीन अलग-अलग बयानों ने भ्रम पैदा किया है।
“13 अप्रैल को कुछ और कहा, 22 अप्रैल को कुछ और, और 1 अगस्त को पूरी तरह अलग बात। अब हम किस पर विश्वास करें?”
कांग्रेस नेता और नेता प्रतिपक्ष देबब्रत सैकिया के आरोपों के साथ भी गोगोई की बातों की समानता दिखी। सैकिया का कहना है कि इन परियोजनाओं के चलते 1100 से अधिक परिवार, जिनका पूर्वजों से ज़मीन से जुड़ा गहरा नाता है, उत्स्थापन (displacement) की कगार पर हैं। उनका आरोप है कि जमीन को अंततः अडानी समूह को सौंपा जाएगा, जो हवाई अड्डे के पास एक एयरोसिटी बनाने की योजना पर काम कर रहा है।
सैकिया ने यह भी चेतावनी दी कि इससे स्थानीय घर, व्यवसाय और दीपोर बील की पारिस्थितिकी पर गंभीर असर पड़ सकता है।
विपक्षी नेताओं ने यह सवाल भी उठाया कि सरकार ने 1964 के असम भूमि अधिग्रहण अधिनियम को लागू किया, जो ज़मीन मालिकों की सहमति के बिना ज़मीन अधिग्रहण की अनुमति देता है। जबकि 2013 के नए भूमि अधिग्रहण क़ानून को नजरअंदाज़ कर दिया गया, जो अधिक पारदर्शी, निष्पक्ष और पुनर्वास की गारंटी देता है।
गोगोई ने अंत में कहा,
“यह विकास का मामला नहीं है। यह असम के स्वदेशी लोगों को उजाड़कर कॉरपोरेट्स को ज़मीन सौंपने की साजिश है। पहले जनजातियों को हटाया गया, अब अल्पसंख्यकों की बारी है। जिन लोगों ने इस सरकार को चुना था, अब उन्हीं की ज़मीन बेची जा रही है।”
एयरपोर्ट के आसपास के स्थानीय कारोबारी भी चिंतित हैं। बोरझार, मिर्ज़ा, आज़रा और धरापुर के होटल व्यवसायी और छोटे दुकानदार डर रहे हैं कि अडानी द्वारा प्रस्तावित एयरोसिटी के बनने से उनका रोजगार और ग्राहक दोनों छिन सकते हैं।