India-US Bilateral Trade Deal: भारत-अमेरिका का द्विपक्षीय व्यापार समझौता अंतिम दौर में, कई मुद्दों पर बनी सहमत
थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता अपने अंतिम चरण में पहुंच गया है। दोनों देशों के बीच पिछले कुछ महीनों से चल रही गहन वार्ताओं के बाद अब समझौते का पहला चरण लगभग तय माना जा रहा है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक, भारत-अमेरिका पहले ट्रांच को अंतिम रूप देने के लिए बहुत करीब हैं, और सिर्फ दस्तावेजी भाषा पर सहमति बननी बाकी है।
सरकारी अधिकारी ने बताया कि भारत और अमेरिका के बीच अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन चुकी है और अब कोई बड़ी बाधा नहीं बची है। दोनों देशों के वार्ताकार समझौते की भाषा को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। अधिकारी ने कहा कि वार्ता सुचारू रूप से आगे बढ़ रही है और कोई नया विवाद सामने नहीं आया है। दोनों पक्ष समयसीमा के भीतर समझौते को पूरा करने को लेकर आशावान हैं।
वार्ता के चरण और भविष्य की दिशा :
दोनों देशों के बीच गुरुवार को वर्चुअल बैठक हुई, जो समझौते पर पांचवीं दौर की बातचीत थी। मार्च से अब तक पांच राउंड की वार्ताएं पूरी हो चुकी हैं। दोनों देशों के शीर्ष नेतृत्व ने इस साल फरवरी में निर्देश दिया था कि पहला चरण 2025 के अंत तक पूरा हो जाए। इस समझौते का लक्ष्य मौजूदा 191 अरब अमेरिकी डॉलर के व्यापार को 2030 तक बढ़ाकर 500 अरब डॉलर तक पहुंचाना है।
दोनों देशों की भूमिका और बातचीत के मुद्दे :
पिछले महीने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल अमेरिका में उच्च-स्तरीय प्रतिनिधिमंडल के साथ व्यापार वार्ता के लिए पहुंचे थे। उनके साथ भारत के मुख्य वार्ताकार राजेश अग्रवाल और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी भी थे।
वहीं, सितंबर के मध्य में अमेरिका की ओर से सहायक व्यापार प्रतिनिधि ब्रेंडन लिंच के नेतृत्व में टीम ने भारत के वाणिज्य विभाग के साथ सकारात्मक और आगे बढ़ने वाली चर्चा की। दोनों पक्षों ने आपसी हितों के अनुरूप समझौते को जल्द पूरा करने का फैसला किया।
कृषि और शुल्क विवाद का मुद्दा :
हालांकि, कुछ महीनों पहले तक अमेरिकी पक्ष ने भारत से कृषि और डेयरी क्षेत्र खोलने की मांग की थी, जिस पर भारत ने आपत्ति जताई थी। भारत के लिए ये दोनों क्षेत्र बेहद संवेदनशील हैं क्योंकि ये बड़ी आबादी के रोजगार से जुड़े हैं। इस बीच, मौजूदा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारतीय उत्पादों पर 25 प्रतिशत शुल्क लगाया था, जो एक अगस्त से प्रभावी हुआ।
बाद में उन्होंने रूसी तेल आयात जारी रखने के कारण भारत पर अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क और लगा दिया, जिससे कुल शुल्क दर 50 प्रतिशत हो गई। ट्रंप प्रशासन का यह कदम दोनों देशों के बीच व्यापारिक तनाव को और बढ़ाने वाला साबित हुआ।

