Assam on High Alert: बांग्लादेश में अशांति के बीच असम में बढ़ी चौकसी, सीएम हिमंत बोले- हाई अलर्ट पर पूरा राज्य
थर्ड आई न्यूज
गुवाहाटी I बांग्लादेश में जारी हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता के बीच असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा अब एक्शन मोड में नजर आ रहे हैं। हालात की गंभीरता को देखते हुए सीएम शर्मा ने सोमवार को कहा कि पड़ोसी देश बांग्लादेश में हाल ही में हुई हिंसा और अशांति को देखते हुए असम को ‘हाई अलर्ट’ पर रखा गया है। मुख्यमंत्री ने साफ कहा है कि बांग्लादेश की हर गतिविधि पर कड़ी नजर रखी जा रही है, क्योंकि वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार और भारत की सुरक्षा से जुड़े बयान चिंता बढ़ा रहे हैं।
एक कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बात करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि बांग्लादेश में हालात ठीक नहीं हैं और वहां अल्पसंख्यक हिंदुओं पर अत्याचार की खबरें सामने आ रही हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि बांग्लादेश में सत्ता से जुड़े कुछ लोग पूर्वोत्तर भारत को अपने देश में शामिल करने जैसी बातें कर रहे हैं, जो बहुत गंभीर और चिंताजनक हैं।
क्यों असम में बढ़ी चौकसी, पहले ये समझिए :
सीएम शर्मा ने अनुसार अलग-अलग समय पर बांग्लादेश से लोग असम में आए हैं और इसलिए राज्य को और ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमें बांग्लादेश में हो रहे हर घटनाक्रम पर कड़ी नजर रखनी होगी। हालांकि इससे पहले पिछले हफ्ते भी मुख्यमंत्री शर्मा ने कहा था कि कुछ ‘बांग्लादेशी तत्व’ बार-बार पूर्वोत्तर भारत को बांग्लादेश में मिलाने की बात कर रहे हैं। उन्होंने इसे गैर-जिम्मेदाराना और खतरनाक बताया था।
इतना ही नहीं सीएम शर्मा ने यह भी कहा था कि भारत इस तरह की बातों पर चुप नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा देश है, परमाणु शक्ति संपन्न है और दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है। ऐसे में बांग्लादेश इस तरह की सोच भी कैसे सकता है। इस बीच, असम के कछार जिले में भारत–बांग्लादेश सीमा के पास निषेधाज्ञा लागू कर दी गई है। अधिकारियों के अनुसार, यह कदम अवैध आवाजाही को रोकने और कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए उठाया गया है।
बांग्लादेश में हिंसा का कारण :
गौरतलब है कि बांग्लादेश एक बार फिर हिंसा की आग में जल रहा है। जिसका बड़ा कारण हाल ही में छात्र नेता शरीफ उस्मान हादी की हत्या बना। हादी की हत्या के बाद पूरे बांग्लादेश में हिंसा की आग में जल उठा, क्योंकि हादी सरकार विरोधी आंदोलनों का एक प्रमुख चेहरा थे, जिसके चलते पिछले साल शेख हसीना सरकार को सत्ता छोड़नी पड़ी थी।

