बटद्रवा में 227 करोड़ की परियोजना का उद्घाटन: अमित शाह ने कहा—श्रीमंत शंकरदेव का संदेश मानवता और ‘एक भारत’ का आधार
नगांव से जयप्रकाश सिंह
महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव की पवित्र जन्मभूमि बटद्रवा के ऐतिहासिक आकाशीगंगा तट पर 227 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव आविर्भाव क्षेत्र का उद्घाटन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने किया। इस अवसर पर आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव ने नववैष्णव धर्म के माध्यम से न केवल मानवता का संदेश दिया, बल्कि ‘एक भारत’ की भावना को भी सशक्त किया।
गृह मंत्री ने कहा कि श्रीमंत शंकरदेव ने भागवत में निहित सिद्धांतों के आधार पर ईश्वर भक्ति, श्रेष्ठ जीवन मूल्यों और मातृभूमि के प्रति समर्पण का मार्ग दिखाया। उन्होंने कहा, “यह स्थल केवल उपासना का केंद्र या नामघर नहीं, बल्कि असमिया समाज और संस्कृति के जीवन दर्शन का प्रतीक है। विभिन्न जाति-जनजातियों के लोग यहां आकर नववैष्णव परंपरा को आगे बढ़ाएं—यही महापुरुष की शिक्षा है।”
अमित शाह ने कहा कि एकशरण नामधर्म की परंपरा को आगे बढ़ाने में यह स्थल महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। उन्होंने महापुरुष शंकरदेव को स्मरण करते हुए “धन्य धन्य कलिकाल, धन्य नरतनु भाल, धन्य भारतवर्ष…” पंक्तियों का उच्चारण किया और कहा कि यह दिन अत्यंत शुभ है, इसलिए वे राजनीति से परे बात करना चाहते हैं, परंतु जो सही कार्य हुए हैं, उनकी प्रशंसा आवश्यक है।
उन्होंने कहा कि महापुरुष शंकरदेव की पवित्र जन्मभूमि पर अवैध बांग्लादेशी घुसपैठियों का बसना उचित नहीं था। इस संदर्भ में उन्होंने मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा को बधाई देते हुए कहा कि उनकी सरकार ने इस पवित्र भूमि को अतिक्रमण से मुक्त कर यहां नामघर की स्थापना कराई। उन्होंने बताया कि असम में व्यापक अतिक्रमण-रोधी अभियान के तहत एक लाख बीघा से अधिक भूमि मुक्त कराई गई है और काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान से भी अवैध कब्जे हटाए गए हैं।
कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए अमित शाह ने कहा कि लंबे समय तक सत्ता में रहने के बावजूद कांग्रेस ने असम के हित में ठोस कार्य नहीं किया। उन्होंने आरोप लगाया कि आईएमडीटी कानून लाकर कांग्रेस ने विदेशियों को बसाने की व्यवस्था की। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारतीय जनता पार्टी का संकल्प है—असम ही नहीं, बल्कि पूरे देश से पहचान कर अवैध घुसपैठियों को बाहर किया जाएगा।
गृह मंत्री ने कहा कि अवैध घुसपैठ के कारण असम की संस्कृति प्रभावित हुई थी, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा शर्मा ने असमिया संस्कृति को पुनर्जीवित किया है। आज नामघरों में फिर से कीर्तन और बरगीत की गूंज सुनाई देती है। उन्होंने बताया कि भाजपा सरकार ने 1 लाख 29 हजार बीघा भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया है।
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह पर टिप्पणी करते हुए अमित शाह ने कहा कि असम से राज्यसभा सांसद रहने के बावजूद उन्होंने राज्य के विकास के लिए विशेष पहल नहीं की। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की दशकों लंबी उपेक्षा को असम की जनता कभी नहीं भूलेगी, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उत्तर-पूर्व के विकास के लिए अभूतपूर्व कार्य किए हैं और 11 वर्षों में असम का 36 बार दौरा किया है।
असम में स्थायी शांति की वापसी का उल्लेख करते हुए शाह ने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में बोड़ो समझौता (2020), कार्बी समझौता (2021), आदिवासी समझौता (2022) तथा डीएलएनए और उल्फा समझौते (2023) हुए। जो असम कभी बम और गोलियों की आवाज से कांपता था, आज वह श्रीमंत शंकरदेव के नाम से गूंज रहा है।
उन्होंने भारत रत्न लोकप्रिया गोपीनाथ बरदोलै, शहीद कनकलता बरुवा और साहित्यरत्न लक्ष्मीनाथ बेज़बरुवा को भी श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि यदि गोपीनाथ बरदोलै नहीं होते, तो असम और पूरा उत्तर-पूर्व भारत का स्वरूप अलग होता।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. हिमंत विश्व शर्मा ने कहा कि यह दिन असमिया समाज के लिए ऐतिहासिक और पवित्र है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले तक इस परियोजना स्थल पर अतिक्रमण था, जिसे हटाकर भाजपा सरकार ने यह भव्य परियोजना साकार की। यह स्थल दर्शकों के लिए निःशुल्क रहेगा। उन्होंने कहा कि शंकरदेव और माधवदेव असमिया समाज के गुरु हैं और वे चंद्र-सूर्य के अस्तित्व तक असमिया जीवन में जीवित रहेंगे।
केंद्रीय मंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा कि कांग्रेस के लंबे शासनकाल में असमिया समाज को भारी क्षति हुई, जबकि भाजपा ने अतिक्रमण हटाकर भूमि, जाति और संस्कृति की रक्षा की है। उन्होंने कहा कि बटद्रवा की यह परियोजना महापुरुष श्रीमंत शंकरदेव को विश्व पटल पर नई पहचान दिलाएगी।
सभा में अनेक केंद्रीय व राज्य मंत्री, सांसद, विधायक, सत्राधिकार और बड़ी संख्या में गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।


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