Dam Over Brahmaputra: भारतीय सीमा पर ₹1.18 लाख करोड़ का बांध, चीन बोला- जल प्रवाह से जुड़ी चिंता बेबुनियाद

थर्ड आई न्यूज

बीजिंग I चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी पर दुनिया का सबसे बड़ा बांध बनाने की अपनी योजना का एक बार फिर बचाव किया। उसने सोमवार को कहा कि इस परियोजना का वैज्ञानिक रूप से बहुत गहन अध्ययन किया गया है। इससे भारत और बांग्लादेश जैसे निचले देशों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा।

137 अरब डॉलर की परियोजना :
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने 137 अरब डॉलर यानी 1.18 लाख करोड़ की अनुमानित लागत वाली इस विशाल परियोजना पर आशंकाओं को खारिज किया। यह परियोजना पारिस्थितिक रूप से बेहद नाजुक हिमालयी क्षेत्र में बनाई जा रही है, जो टेक्टोनिक प्लेट सीमा पर स्थित है, जहां अक्सर भूकंप आते रहते हैं।

कोई बुरा असर नहीं डालेगी :
उन्होंने कहा कि यारलुंग जांगबो नदी पर बनने वाली यह जल विद्युत परियोजना पर्यावरण, भूगोल और जल संसाधनों पर कोई बुरा असर नहीं डालेगी। इसके बजाय, यह निचले क्षेत्रों में आपदा प्रबंधन और जलवायु परिवर्तन का सामना करने में मददगार साबित होगी।

बता दें, ‘यारलुंग जांगबो’ ब्रह्मपुत्र का तिब्बती नाम है। बांध हिमालय की एक विशाल घाटी में बनाया जाएगा, जहां ब्रह्मपुत्र नदी अरुणाचल प्रदेश और फिर बड़ा मोड़ लेते हुए बांग्लादेश में प्रवेश करती है।

चीन के तिब्बत में बांध से भारत की चिंताएं क्या हैं :
चीन ने 2015 में तिब्बत में सबसे बड़े, 1.5 अरब डॉलर के जम जलविद्युत स्टेशन को पहले ही चालू कर दिया है। ब्रह्मपुत्र पर बांध के निर्माण की योजना को लेकर भारत में चिंताएं पैदा हो गई हैं क्योंकि बांध के आकार और पैमाने के कारण चीन को जल प्रवाह को नियंत्रित करने का अधिकार मिलने के अलावा, यह तनातनी के समय सीमावर्ती क्षेत्रों में बाढ़ लाने के लिए बड़ी मात्रा में पानी छोड़ने में भी सक्षम हो सकता है।

भारत ने हाल ही में जताई थी चिंता :
भारत ने इस परियोजना पर चिंता जताई थी और तीन जनवरी को कहा था कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए कदम उठाएगा कि इस बांध से ब्रह्मपुत्र के निचले इलाकों को नुकसान न हो। भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने था कहा कि भारत हमेशा से इस मुद्दे पर चीन के साथ बातचीत करता रहा है। चीन से यह सुनिश्चित करने को कहा है कि निचले इलाकों के देशों के हितों का ध्यान रखा जाए।

चीन ने इस परियोजना को पर्यावरणीय संकटों से निपटने और स्वच्छ ऊर्जा के विकास के लिए महत्वपूर्ण बताया है।

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