मारवाड़ी सम्मेलन : वरिष्ठ पत्रकार ओंकार पारीक को जीएल अगरवाला स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार से सम्मानित किया गया

थर्ड आई न्यूज
गुवाहाटी : पूर्वोत्तर प्रदेशीय मारवाड़ी सम्मेलन द्वारा प्रतिष्ठित जीएल अगरवाला स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार इस वर्ष असम की हिंदी पत्रकारिता के अग्रणी योद्धा ओंकार पारीक को प्रदान किया गया है। उनके चयन पर प्रख्यात लेखक डॉ. सांवरमल सांगानेरिया, मुरारी केड़िया, प्रमोद तिवाड़ी , घनश्याम लडिया, दुर्गा दत्त राठी, उमेश खंडेलिया सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने प्रसन्नता व्यक्त की है।
किशोरावस्था से ही पत्रकारिता का सफर :
1964 में अपने किशोरवय में ही श्री पारीक ने पत्रकारिता के क्षेत्र में कदम रखा। प्रारंभ में वे कलकत्ता से प्रकाशित ‘दैनिक विश्वामित्र’ और तिनसुकिया के ‘अकेला’ अखबार के लिए डिब्रूगढ़ से स्थानीय समाचार प्रेषित करने लगे। इसके साथ ही उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं में भी लेखन किया।
संपादन और लेखन में विशेष योगदान :
श्री पारीक ने जुगल किशोर केड़िया और दुर्गा दत्त लोहिया के जीवन पर स्मृति ग्रंथों की रचना की, साथ ही कई अन्य विशिष्ट व्यक्तियों की संक्षिप्त जीवनी भी लिखी। गुवाहाटी में मारवाड़ी हिंदी पुस्तकालय से जुड़े रहते हुए उन्होंने हिंदी के प्रचार-प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मारवाड़ी सम्मेलन के मुखपत्र ‘सम्मेलन समाचार’ और ‘पारीक गौरव’ सहित अनेक स्मारिकाओं के संपादन में भी उन्होंने सक्रिय योगदान दिया।
उनके आलेख पूर्वांचल प्रहरी, सेंटिनल, प्रातः खबर और गुवाहाटी सहित अन्य शहरों के कई प्रतिष्ठित अखबारों में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे हैं। विशेष रूप से मारवाड़ी समाज केंद्रित विषयों पर उनकी गहन पकड़ रही है, और पिछले 45-50 वर्षों में उनके सैकड़ों आलेख प्रकाशित हो चुके हैं। असम के मारवाड़ी समाज और संगठनों के इतिहास को संकलित करना उनकी विशेष रुचि रही है।
अदम्य साहस और जीवटता का परिचय :
श्री पारीक न केवल पत्रकारिता में बल्कि अपने साहसिक अभियानों के लिए भी जाने जाते हैं। 1973 से 1975 के बीच उन्होंने साइकिल से पूरे भारत का भ्रमण किया था, और पूर्वोत्तर के मारवाड़ी समाज में इस प्रकार का अनूठा अभियान करने वाले वे एकमात्र व्यक्ति रहे हैं।
पुरस्कार पर प्रतिक्रिया :
जीएल अगरवाला स्मृति पुरस्कार प्राप्त करने पर अपनी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए श्री पारीक ने कहा, “जीवन के पचहत्तरवें वर्ष में इस सम्मान ने मेरे वर्षों के परिश्रम को सार्थकता दी है। यह पुरस्कार मेरे लिए आत्मसंतोष का प्रतीक है और मैं चयन समिति के प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता हूँ।”
श्री पारीक का यह सम्मान असम में हिंदी पत्रकारिता और समाजसेवा के क्षेत्र में उनके अमूल्य योगदान को दर्शाता है।