West Bengal: बंगाल के सीमावर्ती जिलों में अफस्पा लागू करने की मांग, सांसद बोले- हिंदुओं को बनाया जा रहा निशाना

थर्ड आई न्यूज

कोलकाता I वक्फ कानून के विरोध में हो रहे विरोध प्रदर्शनों के चलते पश्चिम बंगाल हिंसा की चपेट में है। इस बीच भाजपा सांसद ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बंगाल के सीमावर्ती जिलों में अफस्पा कानून लागू करने की मांग कर दी है। भाजपा सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने यह मांग की है। उन्होंने पत्र में लिखा है कि बंगाल के सीमावर्ती जिलों को अफस्पा कानून के तहत अशांत इलाके घोषित कर देना चाहिए क्योंकि इन जिलों में हिंदुओं पर बार-बार हमले हो रहे हैं।

‘हिंसा प्रभावित इलाकों में कानून व्यवस्था ध्वस्त’ :
पश्चिम बंगाल की पुरुलिया लोकसभा सीट से सांसद ज्योतिर्मय सिंह महतो ने गृह मंत्री को भेजे पत्र में लिखा कि ‘बंगाल के कई जिलों में, खासकर मुर्शिदाबाद में हालात बेहद चिंताजनक हैं। कानून व्यवस्था ध्वस्त हो चुकी है और हिंदुओं को निशाना बनाया जा रहा है। तुष्टिकरण की राजनीति के चलते टीएमसी सरकार कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।’ सांसद ने दावा किया कि ‘मुर्शिदाबाद जिले में ही हिंदू समुदाय की 86 से ज्यादा दुकानों और मकानों में लूटपाट और तोड़फोड़ हुई है। ऐसी ही घटनाएं माल्दा, नादिया और दक्षिण 24 परगना में हुई हैं। यहां बार-बार सांप्रदायिक दंगे हो रहे हैं। विपक्षी नेताओं को हिंसा प्रभावित इलाकों में जाने नहीं दिया जा रहा। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने दखल दिया है और उसके बाद हिंसा प्रभावित इलाकों में केंद्रीय बलों की तैनाती हो सकी है। इससे राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति का सहज अंदाजा लगाया जा सकता है।’

‘कश्मीर घाटी की तरह बंगाल से हो सकता है पलायन’ :
सांसद ने लिखा कि ‘बंगाली हिंदू वैसा ही डर और हिंसा झेल रहे हैं, जैसी 1990 में कश्मीरी पंडितों ने झेली थी। अगर हमने अभी कदम नहीं उठाए तो इतिहास फिर से दोहराया जा सकता है, लेकिन इस बार ये घाटी में नहीं बल्कि बंगाल में होगा।’ सांसद ने राज्य के सीमावर्ती जिलों खासकर मुर्शिदाबाद, माल्दा, नादिया और दक्षिण 24 परगना में अफस्पा कानून 1958 को लागू करने की मांग की।

AFSPA कानून के तहत सशस्त्र बलों की अशांत क्षेत्रों में तैनाती होती है। इस कानून के तहत सशस्त्र बलों को कानून के उल्लंघन करने वाले किसी भी व्यक्ति को मारने, गिरफ्तारी करने और वॉरंट के बिना किसी भी परिसर की तलाशी लेने के अधिकार मिल जाते हैं। और साथ ही केंद्र सरकार की स्वीकृति के बिना अभियोजन एवं कानूनी मुकदमों से सुरक्षा सुनिश्चित करता है।

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