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असम में मतदाता सूची का ‘विशेष पुनरीक्षण’ 22 से, NRC प्रक्रिया के बीच बढ़ी सतर्कता; हिंदीभाषी मतदाताओं में भी गहराया संशय

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी I चुनाव आयोग (EC) ने 17 नवंबर 2025 को असम में मतदाता सूची का विशेष पुनरीक्षण (Special Revision) कराने की घोषणा की है। राज्य में अगले वर्ष विधानसभा चुनाव होने हैं, इसी तैयारी के तहत यह प्रक्रिया शुरू की जा रही है।

गौरतलब है कि इस बार असम में Special Intensive Revision (SIR) नहीं किया जा रहा है, क्योंकि NRC (राष्ट्रीय नागरिक पंजी) की अंतिम अधिसूचना अब तक जारी नहीं हुई है।

2019 की NRC सूची में 3.3 करोड़ आवेदकों में से करीब 19.6 लाख लोग बाहर कर दिए गए थे। जिस NRC को प्रकाशित किया गया, उसे राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती भी दी है। इसी कारण असम को SIR से बाहर रखा गया।

विशेष पुनरीक्षण – SSR से अधिक कठोर निगरानी :
चुनाव आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, यह पुनरीक्षण नियमित वार्षिक SSR की तुलना में अधिक सतर्कता और गहन निगरानी के साथ किया जाएगा।

इस प्रक्रिया में Booth Level Officers (BLO) घर–घर जाकर मतदाताओं का सत्यापन करेंगे। विशेष बात यह है कि, SIR की तरह नागरिकों को कोई फॉर्म भरने की आवश्यकता नहीं होगी।

BLO तीन नए प्रपत्र लेकर जाएंगे :
चुनाव आयोग द्वारा मुख्य निर्वाचन अधिकारी, असम को भेजे निर्देश के अनुसार BLO तीन प्रकार के ‘स्टेटमेंट फॉर्म’ भरेंगे—

  1. स्टेटमेंट–1 : पूर्व–भरा रजिस्टर
    यह रजिस्टर पहले से भरकर BLO को दिया जाएगा, जिसमें उस भाग के सभी मौजूदा मतदाताओं का विवरण होगा।
    • घर–घर जाकर इस जानकारी का सत्यापन व संशोधन होगा।
    • D–Voters (संदिग्ध मतदाता) से जुड़ी प्रविष्टियाँ बिना बदलाव के आगे बढ़ाई जाएंगी।
    • किसी भी संशोधन—चाहे हटाना हो या जोड़ना—के लिए फॉरेनर्स ट्राइब्यूनल या अदालत का आदेश अनिवार्य है।
  2. स्टेटमेंट–2 : अपंजीकृत योग्य नागरिक
    ऐसे भारतीय नागरिक जिनका नाम अब तक मतदाता सूची में शामिल नहीं है।
  3. स्टेटमेंट–3 : संभावित मतदाता (17+ आयु)
    वे युवा जो 2026 की किसी भी तिमाही में 18 वर्ष के हो जाएंगे।

समयसीमा व पात्रता तिथि
• क्वालिफाइंग डेट : 1 जनवरी 2026
• घर–घर सत्यापन : 22 नवंबर – 20 दिसंबर
• एकीकृत प्रारूप मतदाता सूची प्रकाशन : 27 दिसंबर
• अंतिम मतदाता सूची : 10 फरवरी 2026

वोटर लिस्ट की त्रुटियों को सुधारने के निर्देश :
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने यह मुद्दा उठाया था कि—
• बड़ी संख्या में मतदाताओं के घर नंबर “0” अंकित हैं
• कई फोटो अस्पष्ट, धुंधले या “नॉन–ह्यूमन” दिखते हैं

इस पर आयोग ने निर्देश दिया—
• जिन घरों पर नंबर नहीं हैं, उन्हें N1, N2 जैसे नए प्रतीकात्मक नंबर दिए जाएं
• सभी धुंधली/खराब छवियाँ बदली जाएँ

देशव्यापी SIR की स्थिति :
पहले चरण में बिहार में किए गए SIR के दौरान लगभग 69 लाख नाम हटाए गए।

दूसरे चरण में 11 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों में SIR जारी है, लेकिन असम को NRC की स्थिति के कारण इससे बाहर रखा गया है।

असम के हिंदीभाषी मतदाताओं में गहराया भ्रम और चिंता :
असम में इस विशेष पुनरीक्षण अभियान को लेकर हिंदीभाषी मतदाताओं में गहरा भ्रम और आशंका फैली हुई है।
स्थिति तब और गंभीर हो गई, जब कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं सांसद गौरव गोगोई ने आरोप लगाया कि—

“हिमंत विश्व शर्मा सरकार बिहार और उत्तर प्रदेश के लाखों लोगों के नाम मतदाता सूची में जोड़कर 2026 के विधानसभा चुनाव में अपनी कुर्सी बचाना चाहती है।”

गोगोई के इस बयान ने असम में बसे हिंदीभाषी नागरिकों के बीच भय, असुरक्षा और संदेह पैदा कर दिया है।

घर–घर सत्यापन के इस अभियान के चलते यह आशंका भी बढ़ी है कि कहीं यह प्रक्रिया बाहरी लोगों के नाम जोड़ने या स्थानीय हिंदीभाषी मतदाताओं को संदेह के घेरे में लाने का माध्यम ना बन जाए।

राजनीतिक आरोप–प्रत्यारोप के कारण यह विशेष पुनरीक्षण अब केवल प्रशासनिक प्रक्रिया नहीं रह गया है, बल्कि असम की सामाजिक और राजनीतिक संवेदनशीलता का अहम मुद्दा बन गया है ।

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