MEA: एलएसी पर अब कैसा है माहौल, भारत-चीन के रिश्तों में क्या हुई प्रगति, जयशंकर ने राज्यसभा में दिया बयान

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली l विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बुधवार को राज्यसभा में भारत और चीन के रिश्तों को लेकर बयान दिया। उन्होंने इस दौरान भारत-चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) की मौजूदा स्थिति की भी जानकारी दी। जयशंकर ने कहा कि चीन के साथ एलएसी पर कुछ हिस्से को लेकर असहमति है, जिसे दूर करने के लिए भारत और चीन समय-समय पर बातचीत करते हैं।

उन्होंने कहा, “गलवां घाटी में जून 2020 में हुई झड़प की घटना का भारत-चीन के रिश्तों पर असर पड़ा था। यह 45 वर्षों में पहली बार सीमा पर सैनिकों की जान जाने का मसला नहीं था, बल्कि इसके चलते एलएसी के दोनों तरफ भारी मात्रा में हथियारों की तैनाती हुई थी। जयशंकर ने कहा कि इस बीच तमाम चुनौतियों के बावजूद, हमारे सैन्य बलों ने कोविड काल, रसद की चुनौतियों और भीषण ठंड का सामना करते हुए गलवां घटनाक्रम में समुचित प्रतिक्रिया दी। वे तेजी से और प्रभावी ढंग से जवाबी तैनाती करने में सक्षम थे।”

जयशंकर ने कहा कि चरण-दर-चरण प्रक्रिया के माध्यम से पूर्वी लद्दाख में सैनिकों की वापसी का काम संपन्न हो गया है, जो अभी देपसांग और डेमचोक में पूरी तरह संपन्न होना है। जयशंकर ने यह भी कहा कि दोनों देशों के संबंध एलएसी की मर्यादा का सख्ती से सम्मान करने और समझौतों का पालन करने पर निर्भर होंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संबंध कई क्षेत्रों में आगे बढ़े हैं, लेकिन हाल की घटनाओं से स्पष्ट रूप से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुए हैं। हम स्पष्ट हैं कि सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति बनाए रखना हमारे संबंधों के विकास की बुनियादी शर्त है।’’

पीएम मोदी-चीनी राष्ट्रपति की मुलाकात का भी जिक्र किया :
चीन के साथ आगे के रिश्तों पर जयशंकर ने कहा कि मुद्दों के समाधान तथा संबंधों के विकास के लिए सीमा पर शांति जरूरी है। उन्होंने अपनी और चीनी समकक्षों की मुलाकातों को लेकर राज्यसभा को जानकारी दी। इसके बाद उन्होंने बताया कि ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात के दौरान दोनों देशों के संबंध सामान्य करने पर बातचीत हुई थी।

विपक्ष की सवाल पूछने की मांग, सभापति ने नकारी :
जयशंकर का बयान पूरा होने के बाद, कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी सदस्यों ने स्पष्टीकरण पूछने की अनुमति मांगी। हालांकि, सभापति जगदीप धनखड़ ने इन मांगों को अस्वीकार कर दिया। इस पर आपत्ति जताते हुए विपक्षी सदस्यों ने राज्यसभा से वॉकआउट कर दिया।

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