जैसी करनी वैसी भरनी — जटायु की वेदना और शबरी की भक्ति से सराबोर हुआ श्रीराम कथा का सप्तम दिवस, महंत भरत शरण जी बोले — “चिंता नहीं, चिंतन करें; दीन-हीन की सेवा ही है सच्चा धर्म”

थर्ड आई न्यूज़

गुवाहाटी, 4 अगस्त। श्रीराम कथा ज्ञान यज्ञ के सप्तम दिवस पर माहेश्वरी भवन में संत महापुरुषों की दिव्य वाणी, भावपूर्ण प्रसंगों और आत्मा को स्पर्श करने वाले भजनों से भक्ति का वातावरण और अधिक गहरा गया। कथा के मुख्य व्यासपीठ से महंत भरत शरण जी महाराज ने बालकांड से लेकर आरण्यकांड तक के प्रसंगों में जीवन के गूढ़ सत्यों को अत्यंत सरल भाषा में उजागर करते हुए भक्तों को सन्मार्ग पर चलने की प्रेरणा दी।

महाराजश्री ने कहा कि —

“बचपन से युवावस्था में प्रवेश एक अरण्य (जंगल) में प्रवेश करने जैसा है। यदि उचित मार्गदर्शन न हो तो जीवन की राहें भ्रमित कर सकती हैं। जैसे भगवान श्रीराम ने ऋषियों के सान्निध्य में 12 वर्षों तक तपश्चर्या की, वैसे ही हर मनुष्य को भी संयम और साधना से अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।”

कथा के प्रमुख प्रसंगों में शूर्पणखा का वासना स्वरूप और सीता माता की उपासना मूर्ति के माध्यम से महंत जी ने आचरण पर शिक्षा दी। मृग मारीचिका, लक्ष्मण रेखा, और सीता हरण के बाद जटायु रावण संग युद्ध और फिर उसकी करुण मृत्यु का मार्मिक चित्रण करते हुए महंतश्री ने कहा:

“जब घायल जटायु धराशायी पड़ा था, तब मांसाहारी पक्षियों ने उसका शरीर नोचना शुरू कर दिया। लेकिन जटायु ने आंखों को बचाने की गुहार लगाई —
‘कागा चुनी चुनी खाइयो, सब तन खायो मांस;
दो नैना मत खाइयो, मोहे राम दरस की आस।’

यही है जीव की अंतिम आशा — प्रभु के दर्शन, प्रभु का सामिप्य। यही है जीवन की पूर्णता।”

उन्होंने यह भी कहा कि —

“जो लोग अपने लाभ के लिए असहायों का शोषण करते हैं, उन्हें जीवन के बाद ऐसी ही मांसभक्षी योनि में जन्म लेना पड़ता है। जबकि भगवान श्रीराम ने जटायु को गोद में उठाकर जो करूणा दिखाई, वही आदर्श है — दीन-हीन की सेवा ही प्रभु की सच्ची सेवा है।”

कथा के अंत में माता शबरी और श्रीराम की भेंट का भावमय प्रसंग प्रस्तुत हुआ, जहां भाव-विह्वल श्रद्धालुओं ने “रामा रामा रटते-रटते बीती रे उमरिया…” और “मेरी झोपड़ी के भाग्य आज खुल जाएंगे…” जैसे भजनों पर आंसुओं के साथ भक्ति का रसास्वादन किया। शबरी की प्रतीक्षा, उसकी निष्कलंक भक्ति और प्रभु के चरणों में समर्पण ने पूरे सभागार को मंत्रमुग्ध कर दिया।

महाआरती के शुभ अवसर पर
लूणकरण मुंदड़ा, कन्हैयालाल कांकाणी, किसनलाल कलानी, कुंजबिहारी काबरा, गणेश बाहेती, किसन गोपाल साबू, कुशल लढा, बनवारी लाल सारडा तथा हनुमान लोहिया समेत अनेक श्रद्धालुओं ने व्यासपीठ के दर्शन कर महंत श्री से आशीर्वाद प्राप्त किया।

माहेश्वरी सभा के अध्यक्ष सीताराम बिहानी ने भावुक स्वर में कहा —

“प्रभु श्रीराम की कृपा से सभी विघ्न-बाधाएं कट जाती हैं। यह कथा सिर्फ़ श्रवण नहीं, आत्मा के जागरण की प्रक्रिया है।”

उन्होंने यह भी बताया कि 5 अगस्त को कथा में राम-हनुमान मिलन और लंका दहन जैसे भक्तिरस से ओतप्रोत प्रसंग होंगे। उन्होंने सभी धर्मप्रेमीजन को समय पर पधारकर इस अध्यात्मिक महायज्ञ का लाभ उठाने का सादर आमंत्रण दिया ।

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