Vijayadashami 2024: बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व दशहरा आज, जानें रावण दहन मुहूर्त और पूजा विधि

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नई दिल्ली l आज दशहरा है और यह पर्व हर वर्ष शारदीय नवरात्रि के समापन के साथ दशमी तिथि को विजयादशमी के रूप में मनाया जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार, हर वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को इस पर्व को बड़े ही उत्साह के साथ मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस तिथि पर भगवान श्रीराम ने लंकापति रावण का वध करते हुए विजय हासिल की थी, जिस कारण से इसे विजयादशमी भी कहा जाता है। दशहरे पर देशभर में कई जगहों पर रावण का दहन किया जाता है। इसके अलावा विजयादशमी पर शस्त्रों की पूजा भी होती है। आइए जानते हैं दशहरा पर्व की तिथि, पूजा विधि, रावण दहन का मुहूर्त समेत कई जानकारियां…

दशहरा तिथि 2024 :
शारदीय नवरात्रि पर मां दुर्गा के 9 अलग-अलग स्वरूपों की पूजा करने के बाद दशमी तिथि को दशहरे पर पर्व मनाया जाता है। वैदिक पंचांग के अनुसार इस वर्ष आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 12 अक्तूबर को सुबह 10 बजकर 57 मिनट से शुरू हो रही है और इसका समापन 13 अक्तूबर को सुबह 09 बजकर 07 मिनट पर होगा। ऐसे में दशहरा पर्व 12 अक्तूबर को है।

दशहरा रावण दहन शुभ मुहूर्त :
दशहरा का पर्व अधर्म पर धर्म और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। वैदिक परंपरा के अनुसार विजयादशमी पर रावण दहन प्रदोष काल ( सूर्यास्त के बाद का समय) में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। ऐसे में 12 अक्तूबर को रावण दहन के लिए शुभ मुहूर्त का समय शाम 5 बजकर 52 मिनट से लेकर शाम 07 बजकर 26 तक रहेगा।

दशहरा शुभ योग 2024 :
दशहरे पर रावण के साथ मेघनाथ और कुंभकरण के पुतलों का भी दहन किया जाता है। इस बार पंचांग के अनुसार दशहरा पर बहुत ही शुभ योग का निर्माण हो रहा है। 12 अक्तूबर को दशहरा पर सर्वार्थसिद्धि, रवियोग और श्रवण नक्षत्र बन रहा है। दशहरा पर इन तीन शुभ योग बनने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। सर्वार्थसिद्धि योग सुबह 5 बजकर 25 मिनट से लेकर 13 अक्तूबर को सुबह 4 बजकर 27 मिनट तक रहेगा। रवि योग सुबह सुबह 6 बजकर 20 मिनट से 13 अक्तूबर को सुबह 06 बजकर 21 तक रहेगा।

दशहरा एक अबूझ मुहूर्त :
सनातन धर्म ग्रंथों के अनुसार अक्षय तृतीया, बसंत पंचमी, और विजयदशमी सार्वभौमिक रूप से वर्ष के श्रेष्ठतम मुहूर्त हैं। इन मुहूर्तो में किए गए किसी भी तरह के शुभ-अशुभ कार्य का फल निष्फल नहीं होता। दशहरा का पर्व एक अबूझ मुहूर्त है। अबूझ मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य बिना मुहूर्त देखें किया जा सकता है। अबूझ मुहूर्त में खरीदारी, भूमिपूजन, व्यापार आरम्भ करना, गृहप्रवेश आदि जैसे सभी तरह के मांगलिक कार्य किएजा सकते हैं। ज्योतिष में विजयादशमी को कोई भी शुभ कार्य करने के लिए श्रेष्ठ और सर्वसिद्धिदायक मुहूर्त माना जाता है।

विजयादशमी 2024 उपाय और मान्यताएं :
दशहरे पर कुछ उपाय बहुत ही कारगर माने जाते है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र में दशहरे पर अगर कुछ ज्योतिषीय उपाय किए जाएं तो यह काफी लाभकारी और कल्याणकारी सिद्ध होता है। दशहरे पर भगवान श्रीराम, देवी भगवती, मां लक्ष्मी, सरस्वती, गणेश और हनुमान जी की विशेष रूप से आराधना करके सभी के लिए शुभ फलों की प्राप्ति की जा सकती है। दशहरे पर देवी अपराजिता की पूजा करना बहुत ही अच्छा माना गया है। इस दिन देवी अपराजिता को अपराजिता के फूलों से बनी माला जरूर अर्पित करना चाहिए। दशहरा के दिन श्रीयंत्र की पूजा करें, इससे जीवन में पैसों की तंगी से छुटकारा मिल सकता है। दशहरा पर जब रावण के पुतले का दहन हो तो उसके बाद पुतले की जली हुई लकड़ी को अपने घर लाना शुभ माना गया है। दशहरे के दिन नीलकंठ के दर्शन को शुभ संकेत माना जाता है। नीलकंठ के दर्शन से यह संकेत मिलता है कि व्यक्ति की सभी परेशानियाँ दूर होंगी और उसके जीवन में सकारात्मक बदलाव आएंगे।

दशहरा पूजा विधि :
विजयादशमी का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। दशहरे की पूजा दोपहर के समय करना उत्तम रहता है। रावण का दहन प्रदोष काल में करना बहुत ही शुभ माना जाता है। दशहरा पर बही-खाते की पूजा करना बहुत शुभ माना गया है। इससे अलावा दशहरे पर शमी के वृक्ष का भी पूजन करना शुभ और विशेष लाभकारी माना गया है। इस दिन गाय के गोबर से षट्कोणीय आकृति बनाकर 9 गोले व 2 कटोरियां बनाई जाती हैं। इन कटोरियों में से एक में चांदी का सिक्का और दूसरी में रोली, चावल, जौ व फल रख दें। इसके बाद रोली,चावल, पुष्प और जौ के ज्वारे से भगवान राम का स्मरण करते हुए पूजा करें। इस दिन मां दुर्गा की प्रतिमा को विसर्जित किया जाता है। इसके साथ ही इस दिन चंडी पाठ या दुर्गा सप्तशती का पाठ व हवन करने का विशेष महत्व है।

क्यों मनाया जाता है दशहरा :
दशहरा का त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन 10 दिन से चलने वाले युद्ध में मां दुर्गा ने महिषासुर का वध कर दिया था और भगवान राम ने रावण का अंत करके लंका पर विजय प्राप्त की थी। इस वजह से इस दिन शस्त्र पूजा, दुर्गा पूजा, राम पूजा और शमी पूजा का महत्व है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन जो कार्य शुरू किया जाता है उसमें जीत अवश्य मिलती है।

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