Tata Will: कौन रखेगा रतन टाटा के जर्मन शेफर्ड ‘टीटो’ का ध्यान? रिपोर्ट में वसीयत के हवाले से सामने आया नाम

थर्ड आई न्यूज

नई दिल्ली

नई दिल्ली l टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष और मानद चेयरमैन रतन टाटा का 9 अक्तूबर को 86 वर्ष की आयु में मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया। उनके निधन के बाद से ही उनकी विरासत किसे मिलेगी, इसकी चर्चा शुरू हो गई। इस बीच उनके सौतेले भाई नोएल टाटा को टाटा समूह से जुड़े प्रमुख ट्रस्ट्स का चेयरमैन चुन लिया गया। अब 10 हजार करोड़ रुपये की उनकी निजी वसीयत से जुड़ी जानकारी सामने आई है।

रिपोर्ट के अनुसार अपनी वसीयत में रतन टाटा ने भारतीय कारोबारी माहौल के लिहाज से एक असामान्य कदम उठाया है। उन्होंने अपने जर्मन शेफर्ड पालतु कुत्ते टीटो के लिए भी विशेष प्रावधान किए हैं। 5-6 साल पहले गोद लिए गए टीटो को “असीमित” देखभाल मिलेगी। दिवंगत रतन टाटा के रसोइये राजन शॉ, जो पहले से ही टीटो की देखभाल कर रहे हैं, वसीयत के जरिए सुनिश्चित संसाधनों के साथ टीटो का आजीवन ख्याल रखेंगे।

खबर है कि रतन टाटा ने अपने पीछे 10 हजार करोड़ रुपये की वसीयत छोड़ी है I टाटा समूह के पुरोधा रतन टाटा अपने पीछे नेतृत्व, नवाचार और परोपकार की लंबी-चौड़ी विरासत छोड़ गए हैं। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार रतन टाटा ने अपनी विरासत के साथ 10,000 करोड़ रुपये की एक वसीयत भी छोड़ी है। इस वसीयत में रतन टाटा के परिवार, टाटा के करीबी रहे शांतनु नायडू, रतन टाटा के वफादार रहे कर्मचारियों, उनकी ओर से चलाई जा रही चैरिटीज का भी नाम शामिल है। फिलहाल रतन टाटा की यह वसीयत बॉम्बे हाईकोर्ट में प्रोबेट प्रक्रिया से गुजर रही है। यह कानूनी प्रक्रिया वसीयत की वैधता की पुष्टि करेगी और इसके उचित निष्पादन को सुनिश्चित करेगी।

रतन टाटा की संपत्ति आरटीईएफ को सौंपी जानी है: रिपोर्ट
रिपोर्ट में किए गए दावे के अनुसार रतन टाटा की वसीयत में जिक्र है कि उनकी संपत्ति मुख्य रूप से रतन टाटा एंडोमेंट फाउंडेशन (RTEF) को सौंपी जाएगी। इस फाउंडेशन की स्थापना 2022 में एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में की गई थी, जिसका उद्देश्य टाटा की सामाजिक कल्याण और परोपकार की परंपरा को जारी रखना है। इसके अनुसार, टाटा की 10,000 करोड़ रुपये की संपत्ति का बड़ा हिस्सा, जिसमें टाटा संस और टाटा समूह की अन्य कंपनियों में रतन टाटा की हिस्सेदारी शामिल है, आरटीईएफ को हस्तांतरित कर दी जाएगी।

आरटीईएफ के संचालन में एन चंद्रशेखरन की होगी अहम भूमिका :
रिपोर्ट के अनुसार, टाटा संस के वर्तमान अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन फाउंडेशन के संचालन में अग्रणी भूमिका निभाएंगे और कारोबार के बाद समाज को कुछ लौटाने के टाटा के दीर्घकालिक दृष्टिकोण के तहत उनकी धर्मार्थ गतिविधियों का मार्गदर्शन करेंगे। आरटीईएफ पहले से ही सक्रिय रहा है, इससे 2023 के आईपीओ से पहले टाटा टेक्नोलॉजीज में 147 करोड़ रुपये का निवेश किया था। फाउंडेशन की टाटा डिजिटल में भी हिस्सेदारी है, यह एक प्रमुख डिजिटल प्लेटफॉर्म टाटा न्यू का संचालन करती है। वसीयत आरटीईएफ को आरएनटी एसोसिएट्स और आरएनटी एडवाइजर्स के जरिए टाटा की ओर से स्टार्टअप में किए गए निवेश के जरिए हासिल हिस्सेदारी की बिक्री से लाभ कमाने अनुमति देती है।

भाई जिमी टाटा और सौतेली बहनों को भी हिस्सा :
रिपोर्ट के अनुसार रतन टाटा की वसीयत में उनके करीबी पारिवारिक सदस्यों को भी हिस्सा मिला है। उनके भाई जिमी टाटा और उनकी सौतेली बहनें शिरीन और डीना जीजीभॉय को भी लाभार्थियों में शामिल किया गया है। टाटा के भरोसेमंद सहयोगी रहे उनके बटलर सुब्बिया, जिन्होंने कई सालों तक उनकी सेवा की है, का नाम भी वसीयत में शामिल हैं। शांतनु नायडू, जो टाटा के कार्यकारी सहायक और करीबी विश्वासपात्र थे, को भी रतन टाटा की वसीयत में हिस्सा मिला है। टाटा ने नायडू की ओर से ली गई अपनी शिक्षा के लिए लिए गए व्यक्तिगत ऋण माफ कर दिया है। इसके अलावे, टाटा ने नायडू स्टार्टअप, गुडफेलो में अपनी हिस्सेदारी पर दावेदारी भी छोड़ दी है।

दावा- लग्जरी वाहनों और बंगलों के भविष्य के लिए विकल्प तलाशे जा रहे :
रतन टाटा के निजी लग्जरी कारों के संग्रह, जिसमें उनके कोलाबा स्थित घर और ताज वेलिंगटन म्यूज में संग्रहीत 20-30 वाहन शामिल हैं, को अभी तक किसी को नहीं सौंपा नहीं गया है। जिन विकल्पों पर विचार किया जा रहा है, उनमें कारों की नीलामी करना या उनकी विरासत का सम्मान करने के लिए उन्हें सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए रखना शामिल है। टाटा की अन्य प्रमुख संपत्तियों, जैसे अलीबाग में टाटा का समुद्र तट पर बना बंगला और मुंबई में जुहू तारा रोड पर उनका आवास भी इस संपत्ति का हिस्सा हैं। इन संपत्तियों के भविष्य के बारे में निर्णय लिया जाना है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *