स्वरों के सौरभ से सुशोभित – भाई राजेश शर्मा: राजस्थानी लोकगीतों की अमर गूंज

थर्ड आई न्यूज
शंकर बिड़ला की तूलिका से……
संगीत आत्मा का स्पर्श है, और जब यह समर्पण, भक्ति और लोक संस्कृति के रंग में रच-बस जाए, तो वह अमरता की ओर अग्रसर हो जाता है। पूर्वोत्तर भारत में राजस्थानी लोकगीतों और भजनों की सुरीली गूंज को अपनी मधुर आवाज़ से अमिट बनाने वाले भाई राजेश शर्मा किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। तीन दशकों से वे होली टोली के माध्यम से न केवल संगीत की सेवा कर रहे हैं, बल्कि लोकसंस्कृति की विरासत को भी समर्पित भाव से आगे बढ़ा रहे हैं। उनका मधुर स्वर, सरलता और निस्वार्थ सेवा भाव उन्हें पूर्वोत्तर में लोक संगीत का एक अविस्मरणीय चेहरा बनाता है।
भाई राजेश शर्मा ने राजस्थानी लोकगीतों और संगीत को अपनी जादुई आवाज़ से नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया है। उनके स्वर में लोकसंस्कृति की आत्मा बसती है, जो श्रोताओं को केवल सुनने भर तक सीमित नहीं रखती, बल्कि उन्हें लोक परंपराओं और सांस्कृतिक जड़ों से गहराई तक जोड़ देती है। होली टोली के मंच पर उनकी प्रस्तुति केवल गायन नहीं, बल्कि राजस्थानी लोकजीवन की एक जीवंत झांकी होती है, जहाँ शब्द, स्वर और संस्कृति एकाकार होकर एक दिव्य अनुभव का सृजन करते हैं।
होली टोली में उनकी भूमिका केवल एक गायक की नहीं, बल्कि एक संस्कृति संरक्षक और भावनाओं के प्रवाहक की रही है। जब वे राजस्थानी लोकगीत गाते हैं, तो हर शब्द अपने साथ रेगिस्तानी हवाओं की सुगंध, मरुधर की माटी की सोंधी खुशबू और लोकजीवन की सरलता लेकर आता है। उनकी सुरीली आवाज़ में ऐसा सम्मोहन है कि बच्चे, युवा और वृद्ध सभी मंत्रमुग्ध हो जाते हैं और स्वरों के सागर में गोते लगाने लगते हैं।
पूर्वोत्तर में भजन मंडलियों की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाने में भी भाई राजेश शर्मा का योगदान अतुलनीय है। उनके सुरों में न केवल संगीत की मधुरता है, बल्कि उसमें भक्ति, समर्पण और लोकजीवन की सजीवता भी है। जब वे राजस्थानी लोकगीतों या भजनों को अपने सुरों में पिरोते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है मानो स्वयं मारवाड़ व शेखावाटी की धरती की आत्मा उनमें गा रही हो।
राजेश शर्मा केवल एक महान गायक ही नहीं, बल्कि शांत, विनम्र और सम्मानशील व्यक्तित्व के धनी हैं। वे अपने मधुर व्यवहार और आत्मीयता से हर किसी को अपना बना लेते हैं। समाज को जोड़ने और लोकसंस्कृति की मशाल को जलाए रखने का उनका प्रयास उन्हें कलाकार से ऊपर उठाकर एक संस्कृति के संरक्षक के रूप में स्थापित करता है।
होली टोली की असली पहचान :
होली केवल रंगों का उत्सव नहीं, बल्कि संगीत, उल्लास और एकता का प्रतीक भी है। भाई राजेश शर्मा ने इस परंपरा को तीन दशकों से अपनी सुरीली साधना से सँजोए रखा है। वे न केवल होली टोली की आत्मा हैं, बल्कि पूर्वोत्तर में राजस्थानी लोकगीतों और संगीत के अमर स्वर भी हैं। उनका संगीत, उनका समर्पण और उनकी कला आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेगी।