Bihar Election: तेजस्वी यादव का वक्फ कानून पर बड़ा बयान, कहा- सरकार बनी तो इसे कूड़ेदान में फेंक देंगे
थर्ड आई न्यूज
पटना I बिहार विधानसभा चुनाव के बीच विपक्षी महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार और राष्ट्रीय जनता दल के नेता तेजस्वी यादव ने रविवार को कटिहार में वक्फ़ कानून को लेकर बड़ा बयान दे दिया है। चुनावी सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर राज्य में महागठबंधन की सरकार बनी, तो केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम को कूड़ेदान में फेंक दिया जाएगा।
तेजस्वी यादव ने कहा कि मेरे पिता लालू प्रसाद यादव ने कभी भी सांप्रदायिक ताकतों से समझौता नहीं किया। लेकिन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हमेशा ऐसी ताकतों के साथ खड़े रहे हैं। आज आरएसएस और उसके सहयोगी बिहार में भी नफरत फैला रहे हैं। भाजपा का असली नाम ‘भारत जलाओ पार्टी’ होना चाहिए। उन्होंने कहा कि अगर महागठबंधन की सरकार बनती है, तो वक्फ़ एक्ट को खत्म कर दिया जाएगा।
तेजस्वी बोले मुख्यमंत्री अब होश में नहीं हैं :
तेजस्वी यादव ने आगे कहा कि बिहार की जनता 20 साल पुराने नीतीश कुमार शासन से थक चुकी है। उन्होंने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री अब होश में नहीं हैं। राज्य के हर विभाग में भ्रष्टाचार फैला है और कानून-व्यवस्था की हालत बदतर हो चुकी है। तेजस्वी ने सीमांचल क्षेत्र के विकास का भी वादा किया। उन्होंने कहा कि एनडीए सरकार ने सीमांचल क्षेत्र के विकास के लिए कुछ नहीं किया। अगर हमारी सरकार बनी, तो सीमांचल विकास प्राधिकरण का गठन किया जाएगा।सीमांचल में पूर्णिया, अररिया, किशनगंज और कटिहार जिले आते हैं, जहां मुस्लिम आबादी बड़ी संख्या में है। तेजस्वी ने दावा किया कि एनडीए उनकी चुनावी घोषणाओं की नकल कर रही है। उन्होंने कहा कि हमने वृद्धावस्था पेंशन बढ़ाने का वादा किया था। अब नीतीश कुमार सरकार ने इसे 400 रुपये से बढ़ाकर 1100 रुपये कर दिया। मैं वादा करता हूं कि हमारी सरकार बनने पर पेंशन दो हजार रुपये प्रति माह कर दी जाएगी।
इससे पहले राजद एमएलसी ने कही थी यह बात :
इससे पहले शनिवार को राजद एमएलसी मोहम्मद कारी सोहैब ने कहा था कि अगर तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री बने तो सभी बिल, जिसमें वक्फ़ बिल भी शामिल है, फाड़ दिए जाएंगे।इस बयान के बाद सियासी घमासान मच गया था। विपक्षी दलों ने सवाल उठाया कि कोई मुख्यमंत्री केंद्र के कानून को कैसे रद्द कर सकता है। गौरतलब है कि वक्फ़ (संशोधन) अधिनियम अप्रैल में संसद से पारित हुआ था। केंद्र की भाजपा नेतृत्व वाली एनडीए सरकार का दावा है कि यह कानून मुस्लिम समुदाय, खासकर पिछड़े वर्गों और महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए पारदर्शिता लाने वाला है। लेकिन विपक्ष का कहना है कि यह अधिनियम मुस्लिमों के अधिकारों का उल्लंघन करता है।

