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“असम शंकर–माधव की भूमि है, ‘शंकर–अज़ान’ की नहीं”: मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने 27 दिसंबर को असम की सांस्कृतिक पहचान से जुड़े विमर्श को सिलीगुड़ी कॉरिडोर—जिसे लोकप्रिय रूप से “चिकन नेक” कहा जाता है—की रणनीतिक महत्ता से जोड़ते हुए कहा कि राज्य की सभ्यतागत जड़ों की रक्षा करना, उत्तर–पूर्व में भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा से अलग नहीं है।

“शंकर–अज़ान” की सांस्कृतिक समन्वय की अवधारणा को खारिज करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे आख्यान ऐतिहासिक वास्तविकताओं की अनदेखी करते हैं और उस क्षेत्र की आदिवासी–स्थानीय सांस्कृतिक नींव को कमजोर करते हैं, जो उत्तर–पूर्व भारत का प्रवेश द्वार है। उन्होंने कहा, “असम शंकर–माधव की भूमि है,” और श्रीमंत शंकरदेव तथा माधवदेव की वैष्णव परंपरा का उल्लेख करते हुए इतिहास की चयनात्मक पुनर्व्याख्या से सावधान रहने की बात कही।

मुख्यमंत्री ने कहा कि शेष भारत को उत्तर–पूर्व से जोड़ने वाला सिलीगुड़ी कॉरिडोर असम को न केवल सांस्कृतिक रूप से केंद्रीय बनाता है, बल्कि रणनीतिक रूप से भी अपरिहार्य बनाता है। उन्होंने कहा, “जब हम असम में पहचान, जनसांख्यिकी और संस्कृति की बात करते हैं, तो हम ‘चिकन नेक’ की सुरक्षा की भी बात कर रहे होते हैं। यहां होने वाली घटनाओं के दूरगामी परिणाम होते हैं।”

शर्मा ने तर्क दिया कि असम की स्वदेशी सभ्यतागत पहचान को कमजोर करने वाले आख्यान भूमि स्वामित्व, जनसांख्यिकीय संतुलन और क्षेत्रीय अखंडता पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकते हैं—खासतौर पर ऐसे समय में, जब यह क्षेत्र सीमा–पार प्रवासन के दबाव का सामना कर रहा है। उन्होंने कहा कि “जाति, माटी और भेटी” की रक्षा असम की स्थिरता और सुदृढ़ता के लिए अनिवार्य है, क्योंकि उत्तर–पूर्व से जुड़ी भू–राजनीतिक संवेदनशीलताएं बढ़ रही हैं।

असम की सहअस्तित्व की परंपरा को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि समावेशिता का अर्थ वैष्णव आंदोलन द्वारा गढ़े गए ऐतिहासिक–सांस्कृतिक ढांचे को मिटाना नहीं होना चाहिए। उन्होंने जोड़ा कि सांस्कृतिक स्पष्टता उत्तर–पूर्व में भारत की धुरी के रूप में असम की भूमिका को सुरक्षित रखने के लिए आवश्यक है।

विधानसभा चुनावों से पहले दिए गए इन बयानों से राजनीतिक बहस तेज होने की संभावना है। विपक्षी दल जहां मुख्यमंत्री की संस्कृति और पहचान संबंधी व्याख्या को चुनौती दे सकते हैं, वहीं भाजपा नेताओं का कहना है कि यह वक्तव्य असम के इतिहास, संस्कृति और रणनीतिक भूगोल को परस्पर जुड़ी वास्तविकताओं के रूप में देखने की आवश्यकता को रेखांकित करता है।

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