जैन मुनि विवाद में मुख्यमंत्री हिमंत की एंट्री, कहा – धार्मिक सहिष्णुता से खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं

थर्ड आई न्यूज

गुवाहाटी. दिगंबर जैन मुनि प्रखर सागर जी महाराज के असम विहार को लेकर उपजे विवाद में मुख्यमंत्री हिमंत विश्व शर्मा ने हस्तक्षेप किया है. मुख्यमंत्री ने एक ट्वीट कर कहा कि “जैन धर्म अपने पूज्य परम पूजनीय मुनियों के साथ अहिंसा, त्याग और निस्वार्थ भक्ति का प्रतीक है. उनके पवित्र रीति-रिवाजों को बाधित करने के किसी भी प्रयास का कड़े और निर्णायक तरीके से सामना किया जाएगा. असम धार्मिक सहिष्णुता को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और करुणा व मानवता के संदेश को अडिग संकल्प के साथ आगे बढ़ाता रहेगा.” प्रसंगवश उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने जैन मुनि को राजकीय अतिथि का दर्जा दिया हुआ है.

जैन मुनि प्रखर सागर जी महाराज के स्वागत में गत 30 जनवरी को जोरहाट में एक पदयात्रा आयोजित की गई थी. उक्त यात्रा में जैन मुनि, उनके शिष्यों और बड़ी संख्या में जैन धर्मावलंबियों ने शिरकत की थी. बताते चलें कि दिगंबर जैन संप्रदाय के मुनि और आचार्य नग्न अवस्था में रहते हैं. दिगंबरत्व उनकी आस्था का प्रतीक है. पर जैन धर्म के धार्मिक रीति-रिवाजों से अनजान कई स्थानीय सभा-संगठनों ने सार्वजनिक स्थान पर नग्न जैन साधुओं को देखकर उनका विरोध किया. स्थिति की संवेदनशीलता को समझते हुए स्थानीय पुलिस प्रशासन हरकत में आया और उसने विरोध करने वाले कुछ लोगों को गिरफ्तार कर लिया. यह बात अल्फा के वार्ता विरोधी धड़े यानी अल्फा स्वाधीन को नागवार गुजरी और उसने जैन मुनि के असम प्रवास पर एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दी. उक्त प्रेस विज्ञप्ति में गिरफ्तार किए हुए असमिया युवकों को छोड़ने तथा नग्न साधुओं के असम में प्रवेश को प्रतिबंधित करने की मांग की गई है. विज्ञप्ति में कहा गया है कि अल्फा की ओर से यह अंतिम चेतावनी है कि राज्य में किसी भी नग्न व्यक्ति को लेकर किसी भी तरह के जुलूस-जलसे को स्वीकार नहीं किया जाएगा. अगर कोई व्यक्ति या संस्था नग्न मुनि या आचार्य को आश्रय देता है, तो उसे परिणाम भुगतने को तैयार रहना होगा. अल्फा स्वाधीन ने धमकी देते हुए कहा है कि अगर जोरहाट पुलिस गिरफ्तार किए हुए असमिया लोगों को तत्काल रिहा नहीं करती है तो इसका खामियाजा राज्य भर के मारवाड़ियों को भुगतना पड़ेगा.

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