इतना क्यों गिरा भारत का शेयर बाजार: कैसे ट्रंप के टैरिफ लगाने का फैसला एशिया पर डाल रहा ज्यादा असर, आगे क्या?

थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I भारत में सोमवार को शेयर बाजार में भारी गिरावट देखी गई। बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज का सेंसेक्स पिछले बंद से 3000-4000 अंक नीचे रहा। वहीं, निफ्टी में भी करीब 1100 अंकों की गिरावट आई। बाजार विशेषज्ञों ने इस गिरावट के बारे में गुरुवार को ही चेतावनी जारी कर दी थी, जब ट्रंप ने दुनियाभर की कई बड़ी अर्थव्यवस्थाओं से आयात होने वाले अहम उत्पादों पर आयात शुल्क लगा दिया था। हालांकि, इसका असल असर सोमवार से दिखना शुरू हुआ है। सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि जापान से लेकर चीन तक, एशिया में सभी शेयर बाजारों में भारी बिकवाली का दौर देखा गया है।
ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर ट्रंप के आयात शुल्क लगाने के फैसले का शेयर बाजारों पर इतना भीषण असर क्यों पड़ा है? कहां-कहां मार्केट में गिरावट देखी गई है? इसके अलावा यह असर अभी कितने दिन तक रह सकता है? इससे आम लोगों की जिंदगी पर किस तरह असर पड़ने की संभावना है? आइये जानते हैं…
पहले जानें- भारत पर कितना भीषण रहा है ट्रंप के टैरिफ का असर?
बीएसई का सेंसेक्स ने सुबह खुलने के बाद सीधा 3900 से ज्यादा अंकों का गोता लगाया। यह पिछले बंद से करीब 5.22 फीसदी की गिरावट थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दौरान भारत के शेयर बाजार से निवेशकों का करीब 20 लाख करोड़ रुपया साफ हो गया। हालांकि, दोपहर आते-आते सेंसेक्स थोड़ा संभला और यह गिरावट 3200 अंकों के करीब आती दिखी।
आंकड़ों के लिहाज से बात करें तो भारत में एक दिन में यह शेयर मार्केट की पांच सबसे बड़ी गिरावटों में से है।
भारत के अलावा और किन देशों में मार्केट का रहा बुरा हाल?
मार्केट विश्लेषकों ने पहले ही एलान किया था कि सोमवार का दिन ब्लैक मंडे हो सकता है। यानी इस दिन शेयर बाजार में भारी गिरावट दर्ज की जा सकती है। हुआ भी कुछ ऐसा ही। दुनिया में सबसे पहले खुलने वाले पूर्व में स्थित देशों (एशिया) में शेयर बाजार के खुलने के साथ ही बड़ी गिरावट दर्ज की गई। आलम यह रहा कि चीन के शंघाई से लेकर जान के टोक्यो और ऑस्ट्रेलिया के सिडनी से लेकर दक्षिण कोरिया के शेयर बाजार तक में जबरदस्त बिकवाली का दौर देखा गया। बाजार में इस दिन को ‘ब्लडबाथ’ तक कहा गया है।
ट्रंप के टैरिफ का इतना बुरा असर क्यों?
गौरतलब है कि एशिया के अधिकतर देश अहम उत्पादकों में रहे हैं। चीन से लेकर वियतनाम और भारत से लेकर बांग्लादेश तक की अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा देश में निर्मित उत्पादों के निर्यात पर निर्भर है। एशिया के अधिकतर देशों के लिए अमेरिका एक बड़ा मार्केट है। हालांकि, ट्रंप की तरफ से आयात शुल्क लगाने के फैसले से इन देशों के निर्यात पर असर पड़ने की संभावना है। दरअसल, अमेरिका जिन देशों से आयात करता रहा है, अब वहां के उत्पाद खरीदने के लिए अमेरिकी नागरिकों को ज्यादा कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसकी वजह है बढ़े हुए आयात शुल्क, जो कि इनकी मूल कीमतों के ऊपर जुड़े हैं। ऐसे में एशिया के निर्यातक देशों पर टैरिफ का असर सबसे ज्यादा पड़ रहा है।
अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मामले के पूर्व उप मंत्री रहे फ्रैंक लाविन के मुताबिक, ट्रंप के टैरिफ का सबसे ज्यादा असर एशियाई बाजारों पर ही दिखने की संभावना है, क्योंकि यहां के बाजार अमेरिका को सबसे ज्यादा निर्यात करते हैं।
चौंकाने वाली बात यह है कि शेयर बाजारों पर पड़ने वाले इस नकारात्मक प्रभाव की खबरों के बावजूद डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार देर रात कहा कि बाजारों को ‘दवा’ लेने की जरूरत है।
अमेरिका में मंडराया मंदी का खतरा?
दुनियाभर में शेयर बाजारों के गिरने के साथ-साथ खुद अमेरिका में मंदी के आसार जताए जाने लगे हैं।
अमेरिका के सबसे बड़े बैंकों में से एक जेपी मॉर्गन ने अनुमान लगाया है कि अब देश में मंदी की आशंका 60 फीसदी तक पहुंच चुकी है।
क्या भारत भी अमेरिका पर जवाबी आयात शुल्क लगा सकता है?
भारत अपनी बातचीत के जरिए समझौते करने की नीति के लिए जाना जाता है। अगर भारत को कोई कार्रवाई करनी होती तो वह पहले ही इस तरफ काम शुरू कर देता। लेकिन भारत के मामले में हमने देखा कि रूस-यूक्रेन संघर्ष के दौरान हमने अपना स्टैंड निष्पक्ष (न्यूट्रल) रखा। भारत को पता है कि जब कभी लड़ाई होती है तो हमें झुकना भी पड़ता है या कदम पीछे भी खींचने होते हैं। रूस-यूक्रेन युद्ध के मामले में भी भारत को बाद में इसका फायदा मिला और हमारी जीडीपी लगातार स्थिर रही है।
भारत ने अमेरिका की तरफ से पारस्परिक टैरिफ लगाने के एलान से पहले कुछ नीतियां बदली हैं। ऐसे में भारत जवाबी कार्रवाई की जगह, अमेरिका से बातचीत कर समझौते की कोशिश करेगा, ताकि हमारे उद्योगों पर प्रभाव तो भले ही पड़े, लेकिन ज्यादा असर न हो।