Kapil Sibal: धनखड़ के बयान पर भड़के सिब्बल, कहा- कभी किसी उपराष्ट्रपति को ऐसी राजनीतिक टिप्पणी करते नहीं देखा

थर्ड आई न्यूज
नई दिल्ली I उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने राष्ट्रपति और राज्यपालों को विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समय सीमा निर्धारित करने वाले सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले की आलोचना की थी। उनके बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने कहा कि, यह असंवैधानिक है और उन्होंने कभी किसी राज्यसभा के सभापति को इस तरह का राजनीतिक बयान देते नहीं देखा।
सिब्बल ने पूछा- कौन कम रहा राष्ट्रपति की शक्तियां?
कपिल सिब्बल ने कहा कि उपराष्ट्रपति को राष्ट्रपति और राज्यपाल के बारे में पता होना चाहिए, जिन्हें मंत्रियों की सहायता और सलाह पर काम करना होता है। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सिब्बल ने कहा कि राज्यपाल की तरफ से विधेयकों को रोकना वास्तव में विधानमंडल की सर्वोच्चता में दखलंदाजी है। यह धनखड़ जी (उपराष्ट्रपति) को पता होना चाहिए, वे पूछते हैं कि राष्ट्रपति की शक्तियों को कैसे कम किया जा सकता है, लेकिन शक्तियों को कौन कम कर रहा है?
वे पार्टी के प्रवक्ता नहीं हो सकते- कपिल सिब्बल
कपिल सिब्बल ने कहा कि लोकसभा अध्यक्ष और राज्यसभा के सभापति विपक्ष और सत्तारूढ़ दल के बीच समान दूरी बनाए रखते हैं और वे पार्टी के प्रवक्ता नहीं हो सकते। उन्होंने आगे कहा, ‘सभी जानते हैं कि लोकसभा अध्यक्ष की कुर्सी दोनों के बीच में होती है। वह सदन के अध्यक्ष होते हैं, किसी एक पार्टी के अध्यक्ष नहीं। वे भी मतदान नहीं करते, वे केवल तब मतदान करते हैं जब बराबरी होती है। यही बात उच्च सदन के साथ भी है। आप विपक्ष और सत्ताधारी पार्टी के बीच समान दूरी पर होते हैं।’ इस दौरान कपिल सिब्बल ने जोर देते हुए कहा, ‘आप जो भी कहते हैं, वह समान दूरी पर होना चाहिए। कोई भी अध्यक्ष किसी पार्टी का प्रवक्ता नहीं हो सकता। मैं यह नहीं कहता कि वह हैं, लेकिन सिद्धांत रूप में कोई भी अध्यक्ष किसी भी पार्टी का प्रवक्ता नहीं हो सकता। अगर ऐसा लगता है तो कुर्सी की गरिमा कम हो जाती है।’
एक दिन पहले उपराष्ट्रपति ने क्या कहा था?
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने गुरुवार को न्यायपालिका की तरफ से राष्ट्रपति के लिए निर्णय लेने और सुपर संसद के रूप में कार्य करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने पर सवाल उठाते हुए कहा कि सर्वोच्च न्यायालय लोकतांत्रिक ताकतों पर परमाणु मिसाइल नहीं दाग सकता। उन्होंने न्यायपालिका के लिए ये कड़े शब्द राज्यसभा के प्रशिक्षुओं को संबोधित करते हुए कहे, कुछ दिनों पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रपति और राज्यपाल की तरफ से विचार के लिए रखे गए विधेयकों को मंजूरी देने के लिए समयसीमा तय करने की मांग की थी। इस पर उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘इसलिए, हमारे पास ऐसे न्यायाधीश हैं जो कानून बनाएंगे, जो कार्यकारी कार्य करेंगे, जो सुपर संसद के रूप में कार्य करेंगे और उनकी कोई जवाबदेही नहीं होगी क्योंकि देश का कानून उन पर लागू नहीं होता।’