Mahakumbh: तरह-तरह के रंग… थकान और सर्दी भी नहीं भंग कर सकी आस्था; लगते रहे मां गंगा और भोले बाबा के जयकारे

थर्ड आई न्यूज
प्रयागराज I मकर संक्रांति पर्व पर सनातन परंपरा के सबसे बड़े मानव समागम का वृहद रूप दिख रहा है । हर तरफ स्नानार्थियों की आस्था उमड़ती रही। मेला क्षेत्र के अलावा प्रमुख मार्गों पर भी स्नानार्थियों की भीड़ रही।
आस्था की नगरी में तरह-तरह के रंग दिखे। लोग मां गंगा और भोले बाबा के जयकारे लगाते हुए चलते रहे। उत्साह और जयकारों के बीच कई किमी की पैदल यात्रा की थकान और सर्दी भी लोगों की आस्था को डिगा न सकी।
पौष पूर्णिमा पर ही करीब डेढ़ करोड़ से अधिक लोगों ने संगम और आसपास के घाटों पर डुबकी लगाई थी। अगले दिन यानि मंगलवार को मकर संक्रांति का अमृत स्नान पर्व रहा। ऐसे में करीब 10 लाख कल्पवासी व उनके परिजनों के अलावा बड़ी संख्या में अन्य श्रद्धालु भी मेला क्षेत्र में ही रुक गए और स्नान किया।
इनके अलावा अखाड़े और अन्य संत व उनके अनुयायी भी सोमवार तक मेला क्षेत्र में पहुंच गए थे। वहीं, मंगलवार को भी स्नानार्थियों की भारी भीड़ उमड़ी। भोर से ही सभी मार्गों पर सिर्फ श्रद्धालु ही नजर आए।
स्थिति यह रही कि काली मार्ग, बांध, सभी पांटून पुलों पर तिल रखने की भी जगह नहीं बची। हर तरफ श्रद्धालुओं, संतों व उनके अनुयायियों की ही भीड़ नजर आई।
साथ न छूटे इसलिए जत्थे में आगे चल रहा व्यक्ति कोई न कोई निशानी लेकर चल रहा था। वहीं, बड़ी संख्या में लोग भजन गाते हुए चल रहे थे। इस तरह के नजारे लोगों के आकर्षण का केंद्र भी रहे। यह सिलसिला देर शाम तक चलता रहा।
अमृत स्नान का साक्षी बनने को श्रद्धालुओं में दिखी बेकरारी :
त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ का पहला अमृत स्नान अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय आस्था का महापर्व बन गया। ठंड और कोहरे से लिपटा त्रिवेणी का तट ऐसा प्रतीत हो रहा था मानो सृष्टि ने खुद को इस अद्वितीय आयोजन के स्वागत में संवार लिया हो।
गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती की धाराओं का मिलन स्थल दिव्यता का ऐसा केंद्र बन गया, जहां हर सांस में श्रद्धा और हर पल में ऊर्जा का संचार हो रहा था। आंखों में सूरमा, भस्म से लिपटा तन, जटाजूट की वेणी और हाथों में त्रिशूल व डमरू लिए नागा साधुओं का दृश्य मानो युगों पुरानी कहानियों को जीवंत कर रहा था।
त्रिवेणी के तट पर ये साधु किसी देवदूत की तरह प्रतीत हो रहे थे, जो अपनी तपस्या और आस्था के साथ इस अद्वितीय स्नान के लिए तैयार थे। मकर संक्रांति के अमृत स्नान पर मंगलवार की सुबह संगम पर एकाएक भीड़ जुटनी शुरू हो गई।
बम-बम भोले के उद्घोष :
इनमें चादरों में लिपटे, आंखों में उम्मीद लिए घाट के किनारे बड़ी संख्या में लोग बैठे थे। उनके लिए यह इंतजार एक साधना जैसा था। बम-बम भोले के उद्घोष और नावों का साया मानो इस आस्था के संग सफर में साथी बनने का वादा कर रहे थे।
हर चेहरा एक कहानी कह रहा था, और हर निगाह उस पल का हिस्सा बनने के लिए बेकरार थी। जैसे ही मकर संक्रांति की पहली किरण ने संगम को छुआ, घाट पर आस्था का समुद्र उमड़ पड़ा। लाखों श्रद्धालुओं ने संगम में डुबकी लगाकर पवित्र स्नान किया। इनमें न केवल भारत बल्कि दुनियाभर से आए श्रद्धालु भी शामिल थे।